स्कूलों में' पढ़ाई छोड़ शिक्षकों के जिम्मे दर्जनों काम, सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों की समस्याओं पर 'व्हाट्सएप संवाद
यह है शिक्षकों का दर्द
- कक्षा-कक्ष के अनुसार शिक्षकों की संख्या बेहद कम है।
- बीएलओ ड्यूटी, टीकाकरण जैसे अतिरिक्त अनावश्य कार्यों का बोझ है।
- नैतिक पतन के कारण अच्छे शिक्षकों को उसका भुगतान करना पड़ रहा है।
-सेवा अवधि प्रशिक्षण में खाना पूर्ति की जा रही है।
- वेतन, प्रोन्नति, समयमान वेतन मान जैसे अपने हक पाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
- राज्य की योजनाओं को बेहतर क्रियान्वयन के वावजूद गंभीर बीमारी सहायता में कोई लाभ नहीं है।
- 30-40 वर्ष सेवा के वावजूद पेंशन, ग्रेच्युटी ,एसीपी के लाभ से वंचित
(बॉक्स)
राजधानी में स्कूलों की स्थिति
कुल स्कूल : करीब 1850
अपर प्राइमरी : करीब 400
शिक्षकों की संख्या : करीब 6500