पथ मेरा आलोकित कर दो कक्षा 4 हिंदी कलरव | Primary ka master guide for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 1

पथ मेरा आलोकित कर दो कक्षा 4 हिंदी कलरव | Primary ka master guide for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 1

पथ मेरा आलोकित कर दो कक्षा 4 हिंदी कलरव शब्दार्थ

पथ = रास्ता
पर = पंख
आलोकित = प्रकाशित
प्रकाश से युक्त
निर्दिष्ट = निश्चित
तम = अंधकार, अँधेरा
मनोकामना = मन की इच्छा
नवल = नया, नवीन
वर = वरदान
रश्मि = किरण
विहग = पक्षी
पथिक = राही, राहगीर
उर = हृदय, लक्ष्य उद्देश्य।

पथ मेरा …………………………………….. तम हर दो॥


संदर्भ – यह पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘कलरव’ के ‘पथ मेरा आलोकित कर दो’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता ‘द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी’ हैं।

भावार्थ – कवि कहते हैं कि हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि- हे ईश्वर! नई सुबह की नई किरणों से मेरा रास्ता प्रकाशित कर दो, अर्थात् मुझे सन्मार्ग दिखा दो। हे ईश्वर! तुम मेरे हृदय का अंधकार दूर कर दो अर्थात् मुझे ज्ञान रूपी प्रकाश दिखाओ।

मैं नन्हा -सा …………………………………..….. पर दो॥


संदर्भ – हे भगवान! मैं छोटा-सा राहगीर संसार के रास्तों पर चलना सीख रहा हूँ। मैं छोटा-सा पक्षी संसार रूपी आकाश में उड़ना सीख रहा हूँ। मैं अपने निर्दिष्ट स्थान पर पहुँचना चाहता हूँ, अर्थात् अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता हूँ। इसकी प्राप्ति के लिए मुझे ऐसे पैर या पंख अर्थात् साधन दो कि मैं अपनी जीवन-यात्रा में सफल हो सकूँ।

पाया जग………………………………….……….. वर दो॥


संदर्भ – हे प्रभु! मुझे अब तक जो कुछ विरासत में मिला है और जितना कुछ मैं जीवन में प्राप्त करूँ, मेरी यह इच्छा है कि इन सबसे ज्यादा ही संसार के लिए छोड़कर जाऊँ। हे भगवान! मुझे ऐसा कल्याणकारी वरदान दो कि मैं अपने सत्कार्यों से इस संसार को स्वर्ग बना सकूँ।

पथ मेरा आलोकित कर दो अभ्यास प्रश्न


भाव बोध

प्रश्न १.
उत्तर दो
(क) कवि किसको आलोकित करने की प्रार्थना कर रहा है?
उत्तर:
कवि हृदय के अंधकार अर्थात् अज्ञान को आलोकित करने की प्रार्थना कर रहा है।

(ख) नन्हा पथिक क्या सीख रहा है?
उत्तर:
नन्हा पथिक संसार के पथ पर चलना सीख रहा है।

(ग) यह पथिक ‘पग’ और ‘पर’ दोनों क्यों माँग रहा है?
उत्तर:
मानव एक पथिक एवं एक विहग के रूप में अपने निर्दिष्ट लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ‘पग’ और ‘पर’ दोनों माँग रहा है।

(घ) कवि की क्या मनोकामना है?
उत्तर:
कवि की मनोकामना है कि मैं अपने कार्यों से संसार को समृद्ध बनाकर जाऊँ। संसार ने जितना मुझे दिया है, उससे अधिक मैं इसे देकर जाऊँ अर्थात् बहुत अच्छे-अच्छे कार्य करके जाऊँ।

(ङ) कवि ने स्वयं को ‘नन्हा पथिक’ और ‘नन्हा विहग’ क्यों कहा है?
उत्तर:
कवि ने ईश्वर की महत्ता एवं ब्रह्मांड की विशालता प्रकट करने के लिए स्वयं को ‘नन्हा पथिक’ और ‘नन्हा विहग’ कहा है।

प्रश्न २.
नीचे लिखे स्तंभ ‘क’ के कथनों के अर्थ स्तंभ ‘ख’ से ढूँढ़कर लिखो
उत्तर:
स्तंभ ‘क’ – स्तंभ ‘ख’
उर का – हृदय का
निर्दिष्ट लक्ष्य तक – निश्चित उद्देश्य तक

स्तंभ ‘क’ – स्तंभ ‘क’
नवल रश्मि से – नई किरणों से
तम हर दो – अंधकार दूर कर दो

प्रश्न ३.
‘कर दो’ और ‘हर दो’ के अंत में समान ध्वनि है। ऐसे शब्द ‘तुकांत’ कहलाते हैं। उदाहरण के अनुसार नीचे लिखे शब्दों के तुकांत शब्द लिखो (तुकांत शब्द लिखकर)
उत्तर:
पर दो – वर दो
नवल – धवल
हिलराया – दुलराया
खिलाया – पिलाया
चलना – पलना
पाऊँ – जाऊँ

प्रश्न ४.
‘मेरे उर का तम हर दो, इस पंक्ति का सही भाव है
उत्तर:
(क) मेरे घर में उजाला कर दो।
(ख) मेरे हृदय का अन्धकार दूर कर दो। (✓)
(ग) मेरे रास्ते में बिजली की रोशनी कर दो।

प्रश्न ५.
नीचे लिखी पंक्तियों के भाव स्पष्ट करो
(क) “पहुँच सकूँ निर्दिष्ट लक्ष्य तक, मुझको ऐसे पग दो, पर दो’
(ख) ‘धरती को ही स्वर्ग बनाने का, मुझको मंगलमय वर दो’ ।
नोट -विद्यार्थी पंक्तियों का भाव स्पष्ट करने हेतु दिए गए ‘भावार्थ’ का भाग पढ़ें।

प्रश्न ६.
वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखो
(क) दूसरों का उपकार करने वाला – परोपकारी
(ख) रास्ते पर चलने वाला – राहगीर, राही, पथिक, बटोही
(ग) दोपहर का समय – मध्याह्न
(घ) मन की कामना – मनोकामना

तुम्हारी कलम से

कवि ने इस कविता में अपने मन की भावनाएँ प्रकट की हैं। तुम्हारे मन में भी इस प्रकार के भाव आते होंगे। तुम भी उन भावों से कविता बना सकते हो। बनाकर लिखो।
नोट -विद्यार्थी स्वयं लिखें।

अब करने की बारी

नोट- विद्यार्थी कविता कंठस्थ कर कक्षा में प्रभावपूर्ण ढंग से सुनाओ।