पंचतन्त्र की कथा  कक्षा 4 हिंदी कलरव | Primary ka Master Guide for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 2

पंचतन्त्र की कथा  कक्षा 4 हिंदी कलरव | Primary ka Master Guide for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 2


पंचतन्त्र की कथा  कक्षा 4 हिंदी कलरव - शब्दार्थ

प्रतापी = वीर और यशस्वी
अंग-प्रत्यंग = शरीर के प्रत्येक अंग
पुनर्जीवित फिर से जीवित
अस्थि-पंजर = हड्डियों का ढाँचा
निरीह = निर्दोष, असहाय
तत्पर = तुरंत तैयार होना
परामर्श = सलाह
अशिष्ट = असभ्य, उदंड
राजनीति = राज करने की नीति।

पंचतन्त्र की कथा पाठ का सारांश


महिलारोप्य नगर के प्रतापी राजा अमरशक्ति ने अपने तीन निकम्मे पुत्रों को गुरु विष्णु शर्मा के यहाँ ज्ञान प्राप्त करने के लिए भेजा। गुरु ने लोकहित में छह महीने में ही राजपुत्रों को राजनीति सिखाने का वचन दिया। एक दिन विष्णु शर्मा ने राजकुमारों को एक कहानी सुनाई

चार मित्र जिसमें तीन विद्वान और एक बुद्धिमान था, यात्रा पर निकले। रास्ते में एक मृत शेर को तीनों विद्वानों ने अपनी विद्या से जीवित कर दिया। शेर ने तीनों को खा लिया जबकि बुद्धिमान युवक ने पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचा ली।

राष्ट्रीय बाल भारती कक्षा-4 (उत्तर प्रदेश) ऐसी अनेक कहानियाँ विष्णु शर्मा ने राजकुमारों को सुनाईं, जिनसे उनका ज्ञान और योग्यता बढ़ी। इन कहानियों के संकलन को ‘पंचतन्त्र’ कहते हैं।


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पंचतन्त्र की कथा अभ्यास प्रश्न

शब्दों का खेल

प्रश्न १.
(क) नीचे दिए गए शब्दों का शुद्ध उच्चारण करो तथा अपनी अभ्यास-पुस्तिका में लिखो- अमरशक्ति, बहुशक्ति, उग्रशक्ति, अनन्तशक्ति, अशिष्ट, अंग-प्रत्यंग, अस्थि-पंजर, उद्दण्ड, परामर्श, मृत, पुनर्जीवित, क्रम, तत्पर।
नोट – विद्यार्थी शब्दों का शुद्ध उच्चारण करें और अपनी उत्तर-पुस्तिका में स्वयं लिखें।

(ख) ऐसे कम से कम तीन शब्द लिखो, जिनके अंत में ‘शक्ति’ शब्द जुड़ा हो।
उत्तर:
महाशक्ति, अश्वशक्ति, यथाशक्ति।

(ग) ‘सु’ तथा ‘कु’ उपसर्ग जोड़कर तीन-तीन शब्द बनाओ
जैसे- सु + पुत्र = सुपुत्र।
कु + पुत्र = कुपुत्र।
उत्तर:
सु – सुकुमार, सुसंगति, सुलोचन
कु – कुरूप, कुख्यात, कुसंगति।

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(घ) ‘अच्छे-बुरे’ इन दोनों शब्दों के बीच की ‘और’ विभक्ति को हटाकर दोनों के बीच में योजक चिह्न (-) लगा दिया गया है। इस पाठ में इस प्रकार के बहुत से शब्द आए हैं। ढूँढ़कर लिखो
उत्तर:
बात – बात
पढ़ा – लिखा
सोच – विचार
अंग – प्रत्यंग
मांस – पेशियाँ।

बोध प्रश्न

प्रश्न १.
उत्तर दो
(क) राजा क्यों चिन्तित रहता था?
उत्तर:
राजा के पुत्र मूर्ख, उद्दण्ड और निकम्मे थे; इसलिए राजा चिन्तित रहता था।

(ख) राजा अमरशक्ति के पुत्र कैसी मूर्खता करते रहते थे?
उत्तर:
राजा के पुत्र आम के पेड़ पर चढ़ते, आम का रस फेंककर गुठली खाते, निरीह पशुओं का शिकार करते, बात-बात पर झगड़ा करते और बड़ों की बातें नहीं मानते थे।

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(ग) विष्णु शर्मा ने राजा से क्या कहा?
उत्तर:
विष्णु शर्मा ने राजा को छह महीनों में राजपुत्रों को ज्ञान और राजनीति सिखाने का वचन दिया।

(घ) विष्णु शर्मा ने राजा के बेटों को किस प्रकार शिक्षित किया?
उत्तर:
विष्णु शर्मा ने राजा के बेटों को पंचतंत्र की उपदेशात्मक कहानियाँ सुनाकर शिक्षित किया।

(ङ) मित्र युवकों ने क्या किया?
उत्तर:
मित्र युवकों ने बिना सोचे-विचारे मृत शेर को जीवित कर दिया, जो उन्हें मारकर खा गया।

(च) विद्या का प्रयोग किस प्रकार करना चाहिए?
उत्तर:
विद्या का प्रयोग सोच-समझकर और अच्छे-बुरे का ध्यान करके करना चाहिए, नहीं तो इसके दुरुपयोग से अपनी ही हानि होती है।

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प्रश्न २.

सोचो और बताओ

(क) अगर मृत शेर की जगह गाय होती तो क्या होता?
उत्तर:
अगर मृत शेर की जगह गाय होती, तो दूध पीने को मिलता और इससे लाभ होता।

(ख) पढ़ा-लिखा होना और बुद्धिमान होना दोनों अलग बातें हैं। स्पष्ट करो।
उत्तर:
पढ़ा-लिखा व्यक्ति पुस्तकों के विषय में तो पूरी जानकारी रख सकता है, परंतु वह बुद्धिमान भी हो यह आवश्यक नहीं है, जबकि बुद्धिमान व्यक्ति अपनी बुद्धि और कौशल के बल पर समाज में उच्च स्थान प्राप्त कर सकता है।

(ग) मूर्ख पुत्र राजा बन जाते तो क्या होता?
उत्तर:
मूर्ख पुत्र राजा बन जाते तो वह अपने राज्य को नष्ट कर देते।

प्रश्न ३.
निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट करो
(क) राजन्! मेरे पास ऐसी संपत्ति है, जो बाँटने और अभ्यास करने से बढ़ती जाती है। यदि यह मेरे पास ही रहे तो यह घटने लगती है।
उत्तर:
इन पंक्तियों का अर्थ यह है कि शिक्षा देने से शिक्षक का ज्ञान और बढ़ जाता है। शिक्षा न देने से ज्ञान धीरे-धीरे कम होकर क्षीण हो जाता है।

(ख) मुझे आपकी संपत्ति की चाह नहीं है। मुझे आपके पुत्रों की भी चिंता नहीं है। मुझे तो चिंता यह है कि आज राजपुत्र ऐसे हैं, तो कल का राजा कैसा होगा?
उत्तर:
राजपुत्र गुणशील होते हैं; लेकिन ये राजपुत्र जब अभी इतने उद्दण्ड, अयोग्य और अत्याचारी हैं; तब राजा बनने के बाद क्या करेंगे!

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(ग) शास्त्रों और विद्याओं में कुशल होना ही पर्याप्त नहीं है। लोक-व्यवहार को समझने तथा अच्छे-बुरे का ज्ञान होना भी जरूरी है।
उत्तर:
अच्छा जीवन जीने के लिए विद्वान होने के साथ-साथ लोक-व्यवहारकुशल और अच्छे-बुरे के ज्ञान वाला होना भी जरूरी होता है।

(घ) विद्या की शक्ति तो बहुत है, परंतु उस शक्ति का बुद्धिमत्तापूर्वक प्रयोग करना आवश्यक है, अन्यथा वह शक्ति अपना ही विनाश कर सकती है।
उत्तर:
विद्या एक शक्ति है, जिसका सदुपयोग लाभकारी और दुरुपयोग विनाशकारी होता है।

तुम्हारी कलम से

प्रश्न ४.
ऊँचे पदों पर सही व्यक्ति का चुनाव क्यों आवश्यक है? सही व्यक्ति के क्या गुण होने चाहिए?
उत्तर:
सही व्यक्ति अपने पद का सदुपयोग करता है। सही व्यक्ति नि:स्वार्थ, अनासक्त होकर लोकहित में कार्य करता है। वह उच्च-विचार वाला व्यवहारकुशल, परोपकारी, मिलनसार और धैर्यवान होता है।

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अब करने की बारी

(क) विष्णु शर्मा द्वारा सुनाई गई कहानी का अपनी कक्षा में अभिनय करो।
(ख) पंचतन्त्र तथा जातक कथाओं को अपने पुस्तकालय से किताब लेकर पढ़ो और कक्षा में सुनाओ।
(ग) इस पाठ में कितने अनुच्छेद हैं? प्रत्येक अनुच्छेद की एक खास बात को लिखो।
नोट – विद्यार्थी इन प्रश्नों के उत्तर स्वयं लिखें।