उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषदीय प्राथमिक विद्यालय हेतु पैरा अघ्यापक -

शिक्षामित्र योजना  : शिक्षामित्र इतिहास,चयन प्रक्रिया,योजना का लक्ष्य

आवश्यकता -

  • प्राथमिक शिक्षा का सार्वजनीकरण ।
  • प्रत्येक परिषदीय प्राथमिक विद्यालय हेतु न्यूनतम दो अध्यापकों की आवश्यकता ।
  • ग्रामीण अन्तःस्थलीय विद्यालयों में तैनाती समस्या ।
  • ग्रामीण क्षेत्रों के अध्यापक छात्र अनुपात बहुत अधिक है।
  • सूदूरवर्ती अन्तः क्षेत्रों में निर्धारित मानकों के अनुसार अध्यापक छात्र अनुपात सुनिश्चित करना।
  • प्राथमिक शिक्षा में वी。ई。सी。की सहभागिता सुनिश्चित करना।

योजना के लक्ष्य -

  • प्रत्येक परिषदीय प्राथमिक विद्यालय में न्यूनतम दो अध्यापक उपलब्ध कराना ।
  • निर्धारित मानकों के सापेक्ष अध्यापक छात्र अनुपात को कम करना ।  
  • स्थानीय नवयुवकों को ऐसे उपाय / साधन वाले प्राविधान उपलब्ध कराना जिससे वे अपने समुदाय के कार्य को पूर्ण कर सकें। 
  • प्राथमिक शिक्षा में ग्रामीण शिक्षा समिति ( वी 。 ई 。 सी 。) का सक्रिय सहयोग सुनिश्चित करना।
  • स्थानीय शिक्षित महिलाओं को ऐसे उपाय ⁄ साधन वाले प्राविधान उपलब्ध कराना जिससे वे विद्यालय की गतिविधियों में सहयोग दे सकें एवं बालिका शिक्षा के क्षेत्र सामुदायिक विश्वास की भावना को प्रोत्साहित कर सके। 
  • बच्चों की आमद ( बच्चों के आगमन ) को सुरक्षित रखते हुये उसे निरन्तर बढ़ाना। 
  • विद्यालय में विशेषतः कक्षा - 1 एवं 2 हेतु शिक्षा मित्रों की भूमिका के महत्व अधिधिक बढ़ाते हुए विद्यालय विहीन बच्चों के पंजीकरण को सुनिश्चत करना। प्रत्येक विद्यालय हेतु अध्यापकों की संख्या स्थिर रखने के उद्देश्य से नियमित अध्यापकों एवं शिक्षामित्रों के मध्य 3:2 का अनुपात बनाये रखना।

शिक्षामित्र योजना की प्रचलन प्रक्रिया -

  • शिक्षा मित्र की न्यूनतम शैक्ष् ‍ िाक योग्यता इन्टरमीडियट अथवा इसके समतुल्य है। 
  • शिक्षा मित्र को ग्रामीण स्थान का निवासी होना चाहिए और इसके आभाव में , उसे (अर्थात् शिक्षा मित्र को ) उस न्याय पंचायत का निवासी होना चाहिये जहाँ पर प्राथमिक विद्यालय स्थित है।
  • कुल चयनित शिक्षा मित्रों में 50% शिक्षा मित्र महिला अभ्यर्थी होगी।
  • शिक्षा मित्र हेतु अभ्यर्थियों का चयन ग्रामीण शिक्षा समति ( वी。ई。सी。) द्वारा उत्कृष्टता सूची जो अभयर्थियों के हार्इस्कूल तथा इंटरमीडएट के प्राप्तांकों के शैक्षिक औसत योग्यता के आधार पर बनायी जायेगी के माध्यम से किया जायेगा। 
  • शिक्षा मित्रों की चयनित सूची का परीक्षण ( स्क्रीनिंग ) जिला स्तरीय समिति ( डी。एल。सी。) द्वारा किया जायेगा जो इस तथ्य का परीक्षण करेगी की सूची नियमावली के प्राविधानों / मानकों के अनुसार बनायी गयी है अथवा नहीं और इसके पश्चात् ग्रामीण शिक्षा समिति ( वी。ई。सी。) को ( इस आशय से ) से ( आवश्यक ) मानदेय राशि अवमुक्त कर दी जायेगी कि शिक्षा मित्र एक माह के पूर्व - आगमन ( प्री इन्डक्शन ) प्रशिक्षण में भेजे जायेंगे।
  • चयनित शिक्षा मित्रों को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के विशेषज्ञों एवं शिक्षाविदों द्वारा तैयार किये गये मानक प्रशिक्षण प्रारूप के आधार पर 30 दिवसों का दुःसाध्य प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। 
  • जिला स्तरीय समिति के अनुमोदन के पश्चात् चयनित अभ्यर्थियों को डी。आई。ई。टी。स्तर पर एक माह का दुःसाध्य प्रशिक्षण प्राप्त करना होता है।
  • शिक्षा मित्र को रु० 2400 / मासिक मानेदय का भुगतान वी。ई。सी。द्वारा किया जाता है।
  • शिक्षा मित्र अपने कार्य संतोषजनक न पाये जाने की स्थिाति में वी。ई。सी。द्वारा सेवाच्युत भी किया सकता है।
  • योजना में निर्दिष्ट प्राविधानों के अनुसार शिक्षा मित्र द्वारा वार्षिक शैक्षिक सत्र को सफलता पूर्वक पूर्ण करने लेने के पश्चात् उनको 15 दिवसों का पुनश्चर्या प्रशिक्षण करना होगा तथा वी。ई。सी。की संस्तुति के पश्चात ही अगले सत्र हेतु उनकी सेवाओं का नवीनीकरण किया जायेगा।
  • शिक्षा मित्रों का पठन - पाठन अनुदान भी उपलब्ध कराया जाता है ताकि वे सौहार्द्रपूर्ण प्रसन्नचित्त वातावरण में शिक्षण कार्य कर सकें।
  • वी。ई。सी。शिक्षा मित्र के कार्य एवं आचरण को दृष्टिगत रखते हुए अगले सत्र में उनके सेवा - संविदा को नवीनीकृत भी कर सकते हैं।


योजना का प्रभाव -

  • जनसामान्य के दृष्टिकोण में शिक्षा मित्रों के कार्य उत्कृष्ट कोटि के रहे हैं।
  • प्रधान अध्यापकों एवं नियमित अध्यापकों द्वारा उपलब्ध कराये गये प्रगति विवरण के अनुसार शिक्षा मित्रों का अध्यापन कार्य उत्कृष्ट कोटि का रहा है।
  • विद्यालयों में पुरूष अध्यापकों की अपेक्षा महिला अध्यापिकाओं की संख्या अधिक है - जिनमें से 40% महिला अध्यापिका शिक्षा मित्र हैं। 
  • स्नातकोत्तर एवं बी。एड。सदृश उत्कृष्ट / विशिष्ट योग्यता रखने वाले शिक्षा मित्रों को भी चयनित किया जा रहा है।
  • कक्षा -1 एवं 2 छात्र खेल - खेल में शिक्षण प्रणाली के अनुसार शिक्षण देने वाले शिक्षा मित्रों से अधिकाधिक घुल - मिल रहे हैं। 
  • मासिक न्याय पंचायत संसाधन केन्द्रों ( एन。पी。आर。सी。) की बैठकों में प्रतिभागिता करने वाले नियमित अध्यापकगण एवं सभी शिक्षा मित्र पारस्परिक रूप से लाभान्वित हो रहे हैं।