निजी स्कूलों के शिक्षक बिना वेतन बदहाल, स्कूल प्रबन्धक महि दे रहे वेतन, सरकार से 15 हजार सैलरी की मांग - Public school teacher is on economic shutdown
प्रयागराज। सरकारी दावे के बाद भी निजी स्कूल प्रबंधन शिक्षकों एवं कर्मचारियों को वेतन नहीं दे रहे हैं। खासकर वित्तविहीन स्कूलों के शिक्षक तो भुखमरी की कगार पर आ गए हैं। अपने ही बच्चों की फीस जमा कर पाने में असमर्थ शिक्षकों के घर में अकसर राशन का संकट भी खड़ा हो जाता है। ऐसे में साथी शिक्षक एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं।
नाम न छापने की शर्त पर एक शिक्षक ने बताया कि निजी स्कूल तो अभिभावकों की ओर से फीस जमा करने में देरी होने पर बच्चों की ऑनलाइन क्लास बंद कर देते हैं, नोटिस भेजकर फीस जमा करने का दबाव बनाते हैं। ऐसे में स्कूल वालों का यह कहना है कि फीस नहीं जमा होने से वह वेतन नहीं दे पा रहे हैं, समझ से परे है। वहीं शहर के कुछ स्कूलों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश में शिक्षकों एवं कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने की धमकी भी दी गई है। ऐसे में शिक्षक व कर्मचारी दबी जुबां से अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
एक शिक्षक ने बताया कि उनका और उनके परिवार का बीपीएल कार्ड भी नहीं बन सकता, नहीं तो इस दौर में कुछ राहत मिलती। शहर के ही एक स्कूल में शिक्षक के परिवार के सामने उस समय विषम परिस्थिति खड़ी हो गई, जब उनके परिवार में राशन खत्म हो गया। इसकी जानकारी उनके साथी शिक्षकों को होने के बाद उनके घर मदद पहुंची। शिक्षक के दो बच्चों की फीस नहीं जमा होने पर उन्हें ऑनलाइन क्लास से रोक दिया गया। शिक्षक विधायक सुरेश त्रिपाठी ने शुक्रवार को वित्तविहीन स्कूलों के शिक्षकों को वेतन नहीं मिलने के मामले को विधान परिषद में उठाया। उन्होंने प्रदेश सरकार से शिक्षकों को 15 हजार रुपये मानदेय देने की मांग की है।