राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति 50 करोड़ लोगों तक पहुँचाने का लक्ष्य, शिक्षा में राजनीतिक दखल हटने के आसार - National New Education Policy Awareness campaign
नई दिल्ली :  नई शिक्षा नीति अकेले सिर्फ शैक्षणिक सुधारों की मुहिम नहीं होगी, बल्कि एक बड़े वर्ग को साधने का माध्यम भी बनेगा। जिस तरह से नीति के दायरे को व्यापक रूप दिया गया है, उसमें करीब 50 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष तरीके से इसका लाभ मिलेगा। सीधे फायदे की बात करें, तो स्कूली बच्चों को मिल-डे मील के साथ अब नाश्ता भी मिलेगा। मौजूदा समय में करीब 12 करोड़ स्कूली बच्चों को मिड-डे मील मिल रहा है। इसी तरह शिक्षकों को भी नीति से सीधा फायदा मिलेगा, जिनकी नौकरी की शर्तों में सुधार होगा। साथ ही आने वाले दिनों में उनसे पढ़ाई के अलावा कोई भी दूसरा काम नहीं लिया जाएगा।

वैसे भी शिक्षा नीति के अमल में सरकार के साथ संगठन के जुड़ने के भी कुछ यही मायने है। सरकार और संगठन दोनों ने इसे लेकर अपनी सीमाएं तय कर ली है। सरकार जहां नीति के जरिए शैक्षणिक सुधारों को जल्द से जल्द जमीन पर उतारने में जुटी है, वहीं संगठन इसके जरिए मिलने वाले फायदे की बात लोगों तक पहुंचाने का काम करेगी। फिलहाल दोनों का ही मकसद बिल्कुल साफ है, वह नीति को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित करने में जुटे है।



करीब तीस करोड़ छात्रों और उनके परिजनों के लिए राहत भरी जो बड़ी खबर है, वह बेरोजगारी को खत्म करने को लेकर उठाए गए कदम है। सरकार भी इसे खुद पर होने वाले हमलों पर आगे कर सकती है। इसमें सभी छात्रों के लिए प्रोफेशनल कोर्स अनिवार्य किया गया है, जो उन्हें छठवीं से ही पढ़ने होंगे यानी सभी छात्र अब हुनरमंद होंगे। ऐसे में उन्हें रोजगार को लेकर परेशान नहीं होगा। मौजूदा व्यवस्था में अभी उन्हें पढ़ने के बाद भी नौकरी के लिए भटकना पड़ता है। यानी अब उन्हें करियर आदि को लेकर ज्यादा फिक्रमंद होने की जरूरत नहीं है।

नीति से किसे और क्या फायदा

छात्रों को
- स्कूलों में दोपहर के खाने के साथ बच्चों को अब नाश्ता भी मिलेगा। इसका फायदा करीब 12 करोड़ स्कूली बच्चों को मिलेगा।

-प्री-प्राइमरी की शुरुआत- इसमें छोटे बच्चों को गांव की आंगनबाड़ी में ही पढ़ाया जाएगा।

-आंगनबाडी के लिए भवन बनाए जाएंगे। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को भी शिक्षक जैसा प्रशिक्षण दिया जाएगा। अभी देश में करीब 19 लाख आंगनबाडी है।


- छठवीं के बाद सभी स्कूली बच्चों के लिए व्यवसायिक कोर्स की पढ़ाई करना होगा जरूरी यानी सभी बच्चे हुनरमंद होंगे। 2025 तक 50 फीसद बच्चों को इससे जोड़ने का लक्ष्य।

- मनमानी फीस पर लगेगा अंकुश, तय होगी सीमा, छात्रों और अभिभावकों को मिलेगी बड़ी राहत।

- उच्च शिक्षा में अब पढ़ाई बीच में भी छोड़ने पर भी छात्रों को मिलेगा डिग्री या डिप्लोमा। जुड़ेगा क्रेडिट भी।

- उच्च शिक्षा की पढ़ाई के लिए अब दूर नहीं जाना होगा, बल्कि प्रत्येक जिले अब एक उच्च शिक्षण संस्थान होगा, जिसमें सभी विषयों की पढ़ाई होगी।

शिक्षकों को

- पेशे की साख को फिर सम्मानजनक बनाना।

-शिक्षकों को तैयार करने के लिए नए कोर्स शुरू किए जाएंगे।

- शिक्षकों को लगातार अपग्रेड होने का विकल्प मुहैया कराना।

- उनकी सेवा शर्तों को सरल और बार-बार के स्थानांतरण आदि से मुक्त रखना।

- शिक्षा को छोड़कर दूसरे कामों से उन्हें अलग रखना।

- स्कूल के आसपास ही रहने के लिए घर या फिर किराए पर घर के लिए रेंट की व्यवस्था करना।

- प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक शिक्षकों के प्रमोशन के नियमों को पारदर्शी बनाना।