New education policy 2020 - नई शिक्षा नीति में शिक्षक चयन प्रक्रिया होगी बेहद कठिन, Teacher selection process will be very difficult in the new education policy,
नई शिक्षा नीति में शिक्षक बनने की प्रक्रिया और कठिन कर दी गई है। यह कब से लागू होगी यह अभी तय नहीं है लेकिन नई शिक्षा नीति के हिसाब से लिखित परीक्षा पास करने के बाद अभ्यर्थियों को साक्षात्कार या डेमो के दौर से भी गुजरना पड़ेगा। नए नियमों को लेकर प्रदेश भर में बेरोजगार संगठनों ने विरोध भी शुरू कर दिया है। देश की शिक्षा नीति में हुए अहम बदलाबों से विद्यार्थियों को जहां मानसिक तौर पर राहत मिलेगी वहीं शिक्षक की नौकरीहासिल करने वाले बेरोजगारों को मशक्कत बढ़ेगी। नई शिक्षा नीति में सबसे च्यादा फोकस व्यावसायिक शिक्षा पर किया गया है। कक्षा छठी से जहां विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा दी जायेगी, वहीं दसवीं के बाद के पाठ्यक्रम में प्रायोगिक्कलास पर च्यादा जोर रहेगा। नई नीति के जरिए आंगनबाड़ी केन्द्रों के ंचे को और मजबूत करने का सपना भी दिखाया गया है। शिक्षा नीति के जरिए देशभर में पांचवीं व आठवीं की बोर्ड परीक्षाएं खत्म होंगी। दसवीं व 12 वीं की परीक्षाओं में परख विषयक मूल्यांकन पर जोर रहेगा। पांचवी, आठवीं व दसवीं की परीक्षाएं बिल्कुल नये सिरे से होंगी। इससे विद्यार्थियों को काफी राहत मिलेगी। दसवीं एवं 12वीं को बोर्ड परीक्षाओं में बड़े बदलाव किये जायेंगे। बोर्ड परीक्षाओं के महत्व को कम किया जायेगा। बोर्ड परीक्षा में मुख्य जोर विद्यार्थियों के ज्ञान परीक्षण पर होगा ताकि छात्रों में रटने की प्रवत्ति खत्म की जा सके। सभी राज्यों के बोर्ड, आने वाले समय में परीक्षाओं के प्रेक्टिकल मॉडल को तैयार करेंगे। विद्यार्थियों को रोजगार से जोड़ने के लिए रोजगारपरक शिक्षा को नई शिक्षा नीति में बढ़ावा दिया गया है। कक्षा छठी से पूरे देश में व्यावसायिक शिक्षा भी विद्यार्थियों को मिल सकेगी। इसके पाठ्यक्रम निर्धारण के लिए कौशल विकास सहित अन्य की मदद ली जायेगी। अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा एक व कक्षा दो सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे। पांच सालों की पढ़ाई के लिए एक नया पाठ्यक्रम तैयार होगा। अगले तीन साल का स्टेज कक्षा 3 से 5 तक का होगा। इसके बाद 3 साल का मिडिल स्टेज आयेगा। यानी कक्षा 6 से 8 तक का स्टेज। छठी से बज्चे को प्रोफेशनल और स्किल एजुकेशन दी जायेगी। स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जायेगी। चौथा स्टेज कक्षा 9 से 12वीं तक का 4 साल का होगा। इसमें छात्रों को विषय चुनने की आजादी रहेगी। साइंस या गणित के साथ कोई भी व्यावसायिक पाठ्यक्रम पढ़ने की छूट रहेगी। पांचवी कक्षा तक मातृभाषा में पढ़ाई। नई शिक्षा नीति में पांचवीं तक और जहां तक संभव हो सके आठवीं तक मातृभाषा में ही शिक्षा उपलब्ध कराई जायेगी। देश के बज्चों के रिपोर्ट कार्ड में अहम बदलाव होगा। उनका तीन स्तर पर आकलन किया जायेगा। एक स्वयं छात्र करेगा, दूसरा सहपाठी और तीसरा उसका शिक्षक। नेशनल एसेसमेंट सेंटर -परख बनाया जाएगा, जो बज्चों के सीखने को क्षमता का समय-समय पर परीक्षण करेगा। नई नीति में स्कूल शिक्षा और उज्च शिक्षा में दस-दस बड़े बदलाव का विजन दिखाया गया है। शिक्षा नीति में तकनीक के इस्तेमाल पर काफी फोकस किया गया है। प्री-प्राइमरी शिक्षा के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम मॉड्यूल तैयार होगा। इसके तहत तीन से छह वर्ष तक की आयु के बज्चे आएंगे। 2025 तक कक्षा तीन तक के छात्रों को मूलभूत साक्षरता तथा अंक ज्ञान सुनिश्चित किया जाएगा। मिडिल कक्षाओं की पढ़ाई पूरी तरह बदल जायेगी।
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