आज की मीडिया से तो अच्छा दूरदर्शन था, मीडिया से डरे हुए हैं लोग - हाईकोर्ट Doordarshan is better than media



लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया से लोग डरे हुए हैं, वजह इसकी ताकत है, आखिर में अदालतों को ही ऐसे मामलों में दखल देना पड़ता है । 

आप टीवी पर अभद्र शब्दों और भाषा का प्रयोग करते हैं , लोग मीडिया से तटस्थ रहने की उम्मीद करते हैं, इससे बेहतर तो ब्लैक एंड व्हाइट दूरदर्शन का युग था, मीडिया को संयम बरतने की जरूरत है । 

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को यह तल्ख टिप्पणी बॉलीवुड के 34 प्रमुख निर्माताओं और बॉलीवुड उद्योग संगठनों की याचिका पर सुनवाई के दौरान की । 

जस्टिस राजीव शकधर की पीठ ने कहा , मीडिया रिपोर्टिंग से ऐसा लगता है कि पहले धारणा बनाई जाती है और फिर रिपोटिंग की जाती है । 


इसमें खबर कम विचार ज्यादा होते हैं, कोर्ट ने इस मामले में रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ से जवाब भी मांगा है, अगली सुनवाई 14 दिसंबर को 
होगी ।

कोर्ट ने कहा , रिपोर्टिंग करना मीडिया का सांविधानिक अधिकार है , मगर यह निष्पक्ष तरीके से होनी चाहिए । 

टीवी चैनल जांच कर सकते हैं , लेकिन वे किसी के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण अभियान व किसी के पक्ष में सद्भावनापूर्ण अभियान नहीं चला सकते । 

कोर्ट ने कहा , कुछ मामलों में एफआईआर भी नहीं थी , फिर भी चैनलों ने व्यक्तियों को आरोपी कहना शुरू कर दिया । 


कोर्ट ने समाचार चैनलों से सवाल करते हुए कहा , कुशल और शिक्षित दिमाग भी गलत रिपोटिंग से होते हैं प्रभावित अगर आप आत्म नियंत्रण नहीं करते हैं तो अगला कदम क्या उठाया जा सकता है ? 

ऐसा लगता है कि आप इस दिशा में काम नहीं करना चाहते आप सभी को कुछ करना होगा, यह बेहद हतोत्साहित करने वाला और सभी को निराश करने वाला है, आप हमें बताएं कि हमें इसका समाधान कैसे करना चाहिए ।

हाईकोर्ट ने ब्रिटेन के शाही परिवार की मशहूर प्रिंसेस ऑफ वेल्स यानी राजकुमारी डायना की मौत का हवाला देते हुए कहा कि  मीडिया से पीछा छुड़ाने के चक्कर में हुई, आप इस तरह का काम नहीं कर सकते अदालत ही अंतिम रूप से इसे नियंत्रित कर सकती है ।