फर्जी शिक्षक आशुतोष त्रिपाठी व प्रेमलता त्रिपाठी ने बेसिक शिक्षा विभाग के डकारे 1 करोड़, रिकवरी में विभाग के छूट रहे पसीने - Fake teachers Ashutosh Tripathi and Premlata Tripathi commit 1 crore for the basic education department, the sweat of the department in recovery
 
(भदोही) : बर्खास्त किए गए फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र के जरिए परिषदीय विद्यालय में सहायक शिक्षक पद पर नौकरी हासिल करने वाले दो शिक्षकों से वेतन की रिकवरी विभाग के गले की फांस बन सकती है। वसूली की राह आसान नहीं दिख रही है। कारण है कि बर्खास्त शिक्षकों की ओर से नौकरी हासिल करते समय दिए गए पते पर भेजी जा रही नोटिस की रजिस्ट्री इस जवाब के साथ वापस लौट आ रही है कि इस पते पर इस नाम का कोई नहीं रहता। जबकि

बर्खास्त दोनों शिक्षक करीब 10 वर्ष के कार्यकाल में औसतन 50-50 लाख कुल करीब एक करोड़ रुपये वेतन व भत्ते उठा चुके हैं। गाजीपुर जनपद निवासी आशुतोष त्रिपाठी ने नाम व पता का फर्जी दस्तावेज लगाकर सहायक अध्यापक की नौकरी हासिल कर ली थी। इनकी पहली तैनाती वर्ष 2010 में डीघ ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय पुरवां में की गई थी। इसके बाद वह प्राथमिक विद्यालय बेरासपुर गांव में तैनात थे। इनके खिलाफ तिनसुखिया, असम में स्थित केंद्रीय विद्यालय में कार्यरत आशुतोष त्रिपाठी नामक व्यक्ति शिक्षा विभाग में शिकायत दर्ज कराकर आरोप लगाया था कि उनके नाम का फर्जी दस्तावेज तैयार कर वह नौकरी कर रहे हैं। इसी तरह देवरिया निवासी प्रेमलता त्रिपाठी की नियुक्ति वर्ष 2010-11 में हुई थी। वह ज्ञानपुर ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय कंसापुर में तैनात थीं। इनके ऊपर फर्जी अभिलेख के जरिए नौकरी हासिल करने का आरोप था। जांच में मामला सही मिलने पर दोनों शिक्षकों की सेवा समाप्त कर संबंधित थानों में मुकदमा दर्ज कराया जा चुका है। अब इनसे वेतन की रिकवरी करने की कार्रवाई शुरू करते हुए संबंधित शिक्षकों को नोटिस जारी कर दी गई है। जबकि स्थिति यह है कि इन शिक्षकों के पते पर भेजी जा रही नोटिस की रजिस्ट्री को इस कोट के साथ वापस कर दी जा रही है कि इस नाम का कोई व्यक्ति यहां नहीं रहता। खंड शिक्षाधिकारी ज्ञानपुर केडी पांडेय ने बताया कि एक शिक्षक के पते पर दो बार नोटिस भेजी गई थी। दोनों बार वापस आ गई है।