शादी में न दहेज लेंगे और न ही देंगे प्रदेश के सभी कर्मचारियों को देना होगा लिखित प्रमाण पत्र | Will neither take nor give dowry in marriage

जिले के अफसरों और कर्मचारियों को अब लिखित शपथ पत्र देना होगा कि वह न तो दहेज लेंगे और न ही दहेज देंगे, 31 मार्च 2004 के बाद शादी रचाने वाले कर्मचारियों को यह लिखकर देना होगा कि शादी में कोई दहेज नहीं लिया l

महिला कल्याण विभाग ने सभी विभागाध्यक्षों को पत्र भेजकर कर्मचारियों से हलफनामा लेने को कहा है।

 


बेटे की शादी में स्टेटस सिंबल बन चुके दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए शासन ने अब कर्मचारियों पर शिकंजा कसने का फैसला लिया है। दहेज निषेध अधिनियम 1961 के तहत दहेज लेना और देना दोनों अपराध माना गया है, मगर सरकारी नौकरी पाने वाले युवा भारी भरकम दहेज की मांग करते हैं। खास तौर पर बेसिक शिक्षा विभाग और माध्यमिक शिक्षा विभाग में अध्यापक की नौकरी पाने वाले दहेज की ऊंची मांग रखते हैं। योगी सरकार ने सरकारी सेवकों से कानून का पालन कराने का निश्चय किया है। 31 मार्च 2004 के बाद शादी रचाने वाले अफसरों और कर्मचारियों को हलफनामा देना होगा कि उन्होंने शादी में दहेज नहीं लिया है और नई तैनाती पाने वाले कर्मचारियों को ज्वाइन करने से पहले यह लिखकर देना होगा कि शादी के लिए कोई दहेज की मांग नहीं करेंगे।

जिले के सभी विभागाध्यक्षों को पत्र जारी कर कर्मचारियों से पंद्रह दिन के अंदर शादी में दहेज नहीं लेने का हलफनामा लेने को कहा गया है। अगर कोई कर्मचारी या विभाग सूचना नहीं देता है, तो ऐसे लोगों को अलग से नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण तलब किया जाएगा। रनबहादुर वर्मा, जिला प्रोबेशन अधिकारी