कटाक्ष | आज जब खुद पर बन आई तो बैठक करके रणनीति बनाने लगे | खण्ड शिक्षा अधिकारियों की संपत्ति की हो जांच | DGSE must investigate Beo Property

आज जब खुद पर बन आई तो बैठक करके रणनीति बनाने लगे, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा व महानिदेशक जी से अनुरोध है कि जूनियर /प्राइमरी के प्रधानाध्यापक के बराबर अथवा कुछ अधिक वेतन पाने वाले खंड शिक्षा अधिकारी इतने कम समय में बड़े-बड़े आलीशान मकान, तमाम प्लाट, फार्म हाऊस और बड़ी-बड़ी लग्जरी गाड़ी कैसे खरीद लेते हैं इनकी संपत्तियों की जांच होनी चाहिए, जबकि 99% प्रधानाध्यापक कभी मोटरसाइकिल से ऊपर नहीं बढ़ पाते।

बेसिक शिक्षा परिषद को सबसे अधिक किसी ने बर्बाद किया है तो वह है एक पद खंड शिक्षा अधिकारी.......

भारत विविध मौसम का देश है जहां लोग प्रतिदिन विद्यालय 100 किलोमीटर आते जाते हैं ऐसे में जब जिलों में हल्की बरसात होती है और शिक्षक मोटरसाइकिल पर विद्यालय जाते समय भीगने के डर से रास्ते में कहीं रुक जाता है उस दिन जानबूझकर खंड शिक्षा अधिकारी अपनी A.C. कार में बैठकर विद्यालय अवश्य चेक करते हैं जिनका उद्देश्य विद्यालय सुधार करना नहीं है केवल अनुपस्थित शिक्षक को पकड़कर केवल धन उगाही करना है, और दुर्भाग्य यह है कि वह A.C. कार शिक्षकों से ही धन उगाही करके खरीदते हैं क्योंकि शासन द्वारा कार 2 वर्ष से मिलने लगी हैं।

सबसे अधिक शिक्षकों को इन्हीं कुछ खंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा गलत काम के लिए उकसाया जाता है पहले प्रति छात्र यूनिफार्म, स्वेटर का पैसे में 10 % की कमाई करते हैं जबकि अब यह पैसा सीधे खाते में DBT के माध्यम से जाने लगा तो अब कंपोजिट ग्रांट का 10 परसेंट जबरजस्ती लेने पर आमादा है।

इन लोगों की खुद की उपस्थिति कहीं दर्ज नहीं होती है जब मन आता है कार्यक्षेत्र में रहते हैं जब मन आता है अपने घरों में ही रुके रहते हैं इनको कोई बोलने वाला नहीं, हां अध्यापक विद्यालय में उपस्थित नहीं मिला (जबकि विद्यालय के काम से ही बाहर गए होते हैं) तो तुरंत पोर्टल पर अनुपस्थित कर देंगे, स्टाफ से किसी की बात सुनेंगे तक नहीं।

इनमे से कुछ अपेक्षा करते हैं जब वह विद्यालय निरीक्षण पर आए तो उनकी महाराजाओं की तरह आवभगत की जाए, लेकिन जब कोई शिक्षक बीआरसी पर जाए तो उसको पानी भी कोई नहीं पूछेगा और बैठने को तक स्थान नहीं मिलता।

कुछ खंड शिक्षा अधिकारी बहुत भी अच्छे हैं, वह बहुत तारीफ के लायक हैं.