हाँ में हाँ कक्षा 4 हिंदी कलरव चैप्टर 8 | Primary Ka Master Guide Up Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 8

हाँ में हाँ कक्षा 4 हिंदी कलरव | Primary Ka Master Guide Up Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 8

हाँ में हाँ कक्षा 4 हिंदी कलरव | Primary Ka Master Guide Up Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 8
 

हाँ में हाँ कक्षा 4 हिंदी कलरव शब्दार्थ

मुहूर्त = कार्य प्रारम्भ करने का समय
काठी = घोड़े की पीठ पर कसी जाने वाली जीन
दुलकी चाल = घोड़े की एक विशेष चाल
काठ = सूखी लकड़ी
पचड़ा= झमेला
सुस्त = ढीला
बलबलाना = ऊँट का बोलना।

हाँ में हाँ कक्षा 4 हिंदी कलरव पाठ का सारांश (मुरझाए फूल)

बसंत आया। राजा कृष्णदेव राय का बगीचा फूलों से भर गया। राजा ने मंत्री से कहा, “ऐसा प्रबंध करो कि बगीचा हमेशा फूलों से भरा रहे। मंत्री ने यह काम सेनापति से करवाना चाहा। उसने यह काम तेनालीराम पर छोड़ दिया। तेनालीराम ने राजा से पूछा “महाराज, पहले से मुरझाए फूलों का क्या करूँ?” राजा ने कहा, “उन्हें तोड़कर फेंक दो।” “तेनालीराम मुरझाए फूल तोड़ने में लग गया। राजा ने फूल कम देखे। उन्होंने पूछताछ की। तेनालीराम बोला, “महाराज! अभी तो मैं आपके आदेशानुसार मुरझाए फूल ही तोड़ रहा हूँ। देखभाल कैसे करूँ?” यह सुनते ही राजा हँस पड़े।

हाँ में हाँ  (सवारी का प्रबंध) कक्षा 4 हिंदी कलरव

राजा ने मंत्री से गंगा-स्नान पर जाने की बात कही। मंत्री ने यह शुभ विचार बताया। राजा ने शुभ मुहूर्त निकलवाने को कहा। मंत्री ने राजा की इच्छा को ही शुभ मुहूर्त बताया। राजा ने सवारी के प्रबंध की बात मंत्री से कही। मंत्री ने कहा कि गंगा जी दूर हैं, परंतु राजा के पास अनेक सवारियाँ हैं। मंत्री ने उस सवारी को ठीक बताया जिसमें राजा को सुविधा हो। मंत्री ने हाथी को उत्तम राजसी सवारी बताया। राजा ने हाथी को धीमी सवारी कहा। मंत्री को भी हाथी ज्यादा सुस्त जानवर लग रहा था। फिर ऊँट की बात चली। राजा बोले, “ऊँट पर बैठने से कमर टूट जाएगी।” मंत्री ने भी कमर दुखने की बात सही मानी अब राजा की समझ में घोड़े की सवारी ठीक थी। मंत्री ने घोड़े को वीरों की सवारी बताया; लेकिन घोड़े पर कई घंटे बैठना राजा को कठिन लगा। मंत्री के अनुसार घोड़ा मनमौजी जानवर है, जो कभी भी सवारी को पटक सकता है। राजा ने मंत्री से पालकी के विषय में राय पूछी।

मंत्री ने पालकी को ही राजाओं की सवारी बताया। राजा ने पूछा कि लोग हँसेंगे तो नहीं। मंत्री ने कहा कि यह तो मुर्दो की तरह लदकर जाने जैसा है। इस कारण लोग जरूर हँसेंगे। राजा ने गंगा-स्नान न करने की बात कही। मंत्री ने इसे उत्तम विचार कहा। घर पर ही सब कुछ आनंद है। “मन चंगा तो कठौती में गंगा”। राजा ने गंगा स्नान का विचार त्याग दिया। इसे ही झूठ-मूठ ‘हाँ में हाँ’ मिलाना कहते हैं। बच्चों को इस आदत से बचना चाहिए।

हाँ में हाँ अभ्यास प्रश्न कक्षा 4 हिंदी कलरव

शब्दों का खेल

अब तुम भी नीचे दिए गए अनुच्छेद को संवाद शैली में बदलो
अकबर ने बीरबल से देर से आने का कारण पूछा। बीरबल ने बताया, “हजूर कोई खास बात नहीं थी। मेरा बच्चा जिद्दी है, उसे मनाने में देर हुई।”
उत्तर:
अकबर – बीरबल! इस समय आ रहे हो? क्या घर में कोई खास बात थी?
बीरबल – कोई खास बात नहीं, महाराज! अपने छोटे बच्चे को मनाने में लगा रहा, आखिर वह जिद्दी भी तो बहुत है।

बोध प्रश्न

प्रश्न १.
उत्तर दो
(क) राजा कृष्णदेव राय ने मंत्री को क्या आदेश दिया?
उत्तर:
राजा कृष्णदेव राय ने मंत्री को बगीचे को फूलों से सदा भरा रखने की आज्ञा दी।

(ख) तेनालीराम फूलों की देख-रेख की जिम्मेदारी में कैसे फँसा?
उत्तर:
सेनापति ने राजा को तेनालीराम द्वारा फूलों की देख-रेख का कार्य सौंपने की सलाह दी।

(ग) तेनालीराम ने राजा के आदेश का पालन कैसे किया?
उत्तर:
तेनालीराम राजा के आदेशानुसार मुरझाए फूल तोड़ने लगा। राजा ने देखा कि फूल कम हो गए। पूछने पर तेनालीराम ने कहा कि अभी तो मैं आपके आदेशानुसार मुरझाए फूल ही तोड़ रहा हूँ।

(घ) बुंदेलखण्ड की लोक-कथा में किस तरह के लोगों के प्रति व्यंग्य किया गया है?
उत्तर:
बुंदेलखण्ड की लोक-कथा में प्रशासकीय जनों और उनके पिछलग्गुओं पर व्यंग्य किया गया है।

(ङ) इस लोककथा में यातायात के किन-किन साधनों का नाम आया है?
उत्तर:
इस लोककथा में यातायात के साधन – हाथी, ऊँट, घोड़े, पालकी के नाम आए हैं।

(च) ‘हाँ में हाँ’ लोककथा से क्या सीख मिलती है? संक्षेप में लिखो।
उत्तर:
‘हाँ में हाँ’ लोककथा से यह सीख मिलती है कि चापलूसी से दूर रहना चाहिए और ‘हाँ में हाँ’ न मिलाकर सही बात करनी चाहिए।

प्रश्न २.
सोचो और बताओ
(क) तेनालीराम की जगह तुम होते तो क्या करते?
उत्तर:
यदि तेनालीराम की जगह हम होते, तो राजा को यह सच्चाई बता देते कि बगीचा सदा फूलों से हरा-भरा नहीं रह सकता।

(ख) यदि राजा के मन्त्री तुम होते तो क्या सलाह देते?
उत्तर:
यदि राजा के मन्त्री हम होते तो राजा के पूछने पर शुभ मुहूर्त निकलवाकर गंगा स्नान करा लाते।

तुम्हारी कलम से-

किसी स्थान की यात्रा की योजना बनाओ।

    किन-किन साधनों से जाओगे?
    वहाँ क्या-क्या करोगे?
    कौन-कौन साथ होंगे? ।
    खर्च का भी अनुमान करके लिखो।

नोट – विद्यार्थी स्वयं करे।

अब करने की बारी

इसी प्रकार की अन्य लोक-कथाओं, हास्य कविताओं, चुटकुलों का संग्रह करो तथा मित्रों को सुनाओ और उनसे भी सुनो।
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

बुंदेलखण्ड की लोक-कथा में यातायात के कुछ साधनों का नाम आया है। यातायात के उन साधनों के नाम लिखो जो इस कथा में नहीं हैं।
उत्तर:
रेलगाड़ी, बस, हवाई जहाज, कार, मोटरसाइकिल आदि।

इस पाठ में आए मुहावरे ढूँढ़ो और उनका वाक्यों में प्रयोग करो।

उत्तर:
सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाना = बहुत डर जाना- अध्यापक की डाँट से छात्र की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाना स्वाभाविक है।
कमर कसना = खूब तैयारी करना – समस्या से जूझने के लिए कमर कसना अनिवार्य होता है।
चींटी की चाल चलना = बहुत धीरे चलना – चींटी की चाल चलने वाला जीवन में पिछड़ जाता है।
खटराग होना = झंझट होना – कई लोग खटराग होने के भय से कठिन कार्य करते ही नहीं।
पेट हिल जाना = पेट खराब हो जाना – ऊँट की सवारी से पेट हिल जाने का खतरा रहता है।
दुलकी चाल चलना = विशेष प्रकार की चाल – दुलकी चाल चलना कोई घोड़े से सीखे।
काठी और काठ एक समझना = दो कठोर वस्तुओं को एक जैसा समझना – काठी और काठ एक समझकर ही घोड़े पर बैठना चाहिए।मुरदों की तरह जाना = लादकर ले जाया जाना – स्वस्थ्य व्यक्ति मुरदों की तरह जाना नहीं चाहता।
मन चंगा, तो कठौती में गंगा = शुद्ध मन के लिए हर स्थान पर ईश्वर है – मन चंगा, तो कठौती में गंगा से सभी परिचित हैं।

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