मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण कार्यक्रम :
◆एपिसोड : 32
◆दिनांक :30/11/2016
◆प्रसारण समय : 11:15am से 11:30am
◆आकाशवाणी केंद्र : लखनऊ
◆आज की कहानी का शीर्षक : ““ दीपू और साबुन का किस्सा
मीना,राजू और दीपू किसी भाग दौड़ में लगे हुए हैं| मीना- दीपू, अब तो मैं उंच-नीच का खेल खेलते-खेलते थक गयी हूँ|
दीपू- हाँ मीना, मैं भी थक गया हूँ| थोड़ी देर आराम करते हैं| तब तक मैं एक नया गाना सुनाता हूँ| सुनो-
“सबसे पहले होता है हाथ गीला, फिर ...ला ला..ƨƨƨ ....
मीना- वाह दीपू, साबुन वाल नया गाना, मैं इसे रेडियो
पर भी सुना है|
दीपू- हाँ मीना, था न अच्छा गाना?
मीना- दीपू, गाना तो अच्छा था पर तुम तो बीच की
एक लाइन भूल गए|
राजू- मैं बताता हूँ...सुनो-
‘सबसे पहले होता है हाथ गीला,
फिर हाथ पे नाचे साबुन रंगीला|
हाथों को साफ करे छम छमा छम,
क्योंकि साफ हाथ में है दम|’
दीपू- अरे! हाँ, साबुन वाली लाइन तो मैं भूल ही गया था|
मीना- ..पर दीपू, तुम जब भी कुछ भूल जाते हो तो अपने नाख़ून क्यों चबाते हो?....और अब फिर से नाख़ून चबा रहे हो|
मिठ्ठू ने तान छेड़ी, "नाखून चबा रहे हो मैल खा रहे हो|”
राजू, दीपू से शर्त लगाता है कि अगर उसने ये गाना
बिना कोई भी लाइन भूले सुना दिया तो वह अपने सारे
कंचे दीपू को दे देगा|
मीना- राजू, बहिन जी कहती हैं, ‘शर्त लगाना बुरी बात
है|’
राजू- मैं शर्त थोड़े ही लगा रहा हूँ,मैं तो बस किसी को
इनाम दे रहा हूँ| अगर वो कल एक भी लाइन नही भूला
तो....| “मुझे इनाम नही चाहिए राजू, पर कल मैं तुम्हें पूरा गाना सुनाऊंगा |” दीपू बोला, “ बस...राजू, अब मुझे भागना पड़ेगा|”
दीपू अचानक से जब वहां से अपना पेट पकड के भगा तो मीना ने राजू से इसका कारण पूँछा|
राजू ने बताया, “....दीपू का पेट एक दम से ख़राब हो
जाता है और फिर वो ऐसे ही भाग जाता है शौच करने|
मीना- कल उससे मिलके पूँछना पड़ेगा कि अचानक उसे क्या हो जाता है?
लेकिन जब अगली शाम को मीना और राजू, दीपू के
घर पहुंचे तो उन्हें कुछ और ही पता चला|
दीपू की माँ बताती है, “...वो तो कल शाम से ही बीमार
है| उसके पेट में दर्द है|”
मीना- ओह! लेकिन चाची जी, दीपू तो पिछले हफ्ते भी
बीमार पड़ गया था...हैं न|
दीपू की माँ- अब क्या बताऊँ मीना बेटी? मुझे तो
उसकी सेहत को लेकर चिंता सताये जा रही है|
दीपू की माँ, मीना और राजू को डॉक्टर बाबू को
बुलाने को भेजती हैं|
जल्द ही मीना और राजू, डॉक्टर बाबू को लेकर दीपू के
घर पहुंचे|डॉक्टर बाबू, दीपू से उसकी तबियत का हाल पूंछते हैं|
दीपू- अभी भी पेट में दर्द हो रहा है डॉक्टर बाबू|
डॉक्टर बाबू- ये बताओ.... तुमने खाने में क्या-क्या
खाया?
“डॉक्टर बाबू, यर तो घर में पकाया हुआ ताज़ा खाना
ही खाता है|” दीपू की माँ ने कहा|
डॉक्टर बाबू- हूँ....दीपू, भूँख लगी है| कुछ हल्का-फुल्का खाओगे?
दीपू- बाद में.....अभी तो मुझे शौचालय जाना है|
और जब दीपू शौचालय से बाहर निकला तो डॉक्टर
बाबू, मीना और राजू तीनों ने देखा कि दीपू ने हाथ तो
धोये लेकिन साबुन का इस्तेमाल नहीं किया|
डॉक्टर बाबू-दीपू, तुमने अपने हाथ बड़ी जल्दी धो लिए|
दीपू- जी वो...
डॉक्टर बाबू- भई, मैं तो अपने हाथ धोने से पहले उन्हें
अच्छी तरह से रगड़ता हूँ ,साबुन से झाग बनाता हूँ, फिर
आगे पीछे, उँगलियों के बीच में,हथेलियों पे नाखून रगड़
के....| लेकिन दीपू तुमने साबुन से हाथ क्यों नही धोये?
“मैंने पानी से हाथ धो तो लिए|” दीपू ने जबाब दिया|
डॉक्टर बाबू-नहीं दीपू, शौच के बाद सिर्फ साबुन से हाथ धोना काफी नहीं है|साबुन का इस्तेमाल जरुर करना
चाहिये|...क्योंकि शौच के बाद हाथों में कीतानुहो
सकते हैं, जो हमारे शरीर के अन्दर पहुँचकर हमें बीमार कर देते हैं|
“डॉक्टर बाबू, क्या वो कीटाणु पानी से नहीं धुलते?”
दीपू ने पूँछा|
डॉक्टर बाबू- नहीं...इसीलिये साबुन का इस्तेमाल बहुत
जरुरी है क्योंकि अगर साबुन का इस्तेमाल नहीं किया
तो हाथ साफ होंगे ही नहीं और अगर गलती से भी ये गंदे हाथ हमारे मुंह में चले गए तो ये कीटाणु हमारे पेट में पहुँचकर हमें बीमार कर देंगे|
“दीपू, तुम तो अपने नाखून भी चबाते हो| हैं न मीना|”
राजू ने जोड़ा।
मीना- हाँ राजू, दीपू, याद हैं न बहिन जी कहती हैं
नाखूनों में जमी मेल में कीटाणु होते हैं और जब तुम नाख़ून चबाते हो तो यही कीटाणु तुम्हारे मुंह में चले जाते हैं|
डॉक्टर बाबू- ओह! तो ये बात है|..पता है इसे याद रखने के लिए मेरे पास एक गना भी है-
“‘सबसे पहले होता है हाथ गीला, फिर हाथ पे नाचे
साबुन रंगीला| (दीपू भी साथ में गाता है)
हाथों को साफ करे छम छमा छम, क्योंकि साफ हाथ
में है दम| मीना- अरे वाह! दीपू आज तो तुम हाथ धोने वाली लाइन भूले ही नहीं|
दीपू-मीना.... अब मुझे सब याद रहेगा| सिर्फ गाना ही
नहीं.सचमुच साबुन से हाथ धोना भी|
दीपू की माँ- दीपू बेटा,डॉक्टर बाबू और बहिन जी की
बात हमेशा याद रखना,अब साबुन से हाथ धोना कभी
मत भूलना|
“राजू, देखना जब मैं ठीक हो जाऊंगा तो साथ में फिर से कंचे खेलेंगे|” दीपू ने कहा|
राजू- हाँ दीपू,अब तुम जल्दी ठीक हो जाओगे|
“ठीक हो जाओगे साबुन से कीटाणु भगाओगे|” मिठ्ठू
चहका|
मीना, मिठ्ठू की कविता :
जब भी निकलो शौच के बाद, लो पानी और साबुन |
रगड़-रगड़ के दोनों हाथ, सफाई है अच्छा गुण ||
आज का गाना :
हाथ भिगो के लगा के साबुन,खूब बना ले झाग|
रगड़-रगड़ धोले इनको तभी ये होंगे साफ -२
रखना साफ अपने हाथ, सीधी सी है बात|
(सीधी बात..)
हाथ से करते मेहनत(..मेहनत),हाथों में है ताकत
(..ताकत)
हाथ मिलाके दोस्त हैं बनते, हाथों में है किस्मत
अरे! हाथों में है किस्मत| (....किस्मत)
रखना साफ अपने हाथ, सीधी सी है बात|
(सीधी बात)
हाथ पकडके चलते, हाथ मिलाके गाते|
हाथों से कॉपी में लिखते, हाथ से खाना खाते|
अरे! हाथ से खाना खाते| (...खाते)
रखना साफ अपने हाथ, सीधी सी है बात|
रगड़-रगड़ धोले इनको तभी ये होंगे साफ -२
आज का खेल - ‘अक्षरों की अन्त्याक्षरी’
शब्द-‘जीवन’
ज- जामुन
व- विमान
न- नीम
आज के कहानी का सन्देश : शौच के बाद सिर्फ साबुन से हाथ धोना काफी नहीं होता है| साबुन कीटाणुओंको दूर रखने के लिए बहुत जरूरी है|