नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। एनपीएस वैसे तो रिटायरमेंट के लिहाज से एक बेहतर निवेश विकल्प माना जाता है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं जिसपर आमतौर पर लोगों का ध्यान नहीं जाता है।

अगर आप एक बड़े परिदृश्य में देखें तो बाजार में कुछ ऐसे निवेश विकल्प भी उपलब्ध हैं जो एनपीएस के मुकाबले कई मायनों में बेहतर साबित होते हैं। हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको बताने की कोशिश करेंगे कि आपको किन वजहों से एनपीएस में निवेश करने से बचना चाहिए।


◆ क्या कहते हैं एक्सपर्ट:


फाइनेंशियल प्लानर जितेंद्र सोलंकी बताते हैं कि एनपीएस में सबसे बड़ी समस्या लिक्विडिटी की होती है। इसमें आप निकासी एक निश्चित अवधि के बाद ही कर सकते हैं उससे पहले नहीं। वहीं दूसरी बड़ी समस्या इसमें टैक्स को लेकर होती है।

वो यह कि एनपीएस में किए गए निवेश का 40 फीसद हिस्सा ही सिर्फ टैक्स फ्री होता है जबकि बाकी के 60 फीसद पर आपको टैक्स देना होता है। वहीं इसमें आप पूर्ण निकासी नहीं कर सकते हैं आपको एक निश्चित राशि एन्युटी में देनी होती है और इस एन्युटी पर कितना ब्याज मिलेगा वो कंपनियां तय करती हैं। वर्तमान समय में एन्युटी रेट 7 से 8 के आस पास है, जो कि थोड़ा कम जान पड़ता है। लिहाजा इस संदर्भ में भी एनपीएस थोड़ा कमतर जान पड़ता है।


इन कारणों से आपको एनपीएस में निवेश नहीं करना चाहिए....


हाई लॉक-इन बड़ी समस्या:


NPS बनाम अन्य निवेश विकल्प:


हालांकि सभी सभी टैक्स सेविंग विकल्पों पर लॉक-इन पीरियड होता है लेकिन किसी में भी एनपीएस जैसा नहीं होता है। जैसा कि पीपीएफ में 7 साल का लॉकइन पीरियड होता है, हालांकि इस अवधि के पहले आप आंशिक निकासी कर सकते हैं और आप 15 साल के बाद पूरी राशि निकाल सकते हैं।

अगर ईपीएफ की बात करें तो इसमे भी आप नौकरी छोड़ने के 2 महीने बाद अपना पूरा योगदान निकाल सकते हैं। हालांकि आप नियोक्ता के योगदान को 58 साल बाद ही निकाल सकते हैं।
ईएलएसएस और टैक्स सेविंग फंड में 3 साल का लॉकइन पीरियड होता है।

बैंक एफडी और टैक्स सेविंग एफडी में 5 सॉल का लॉक इन पीरियड होता है।

वहीं अगर एनपीएस की बात करें तो इसमें जमा राशि को सिर्फ 60 वर्ष की उम्र के बाद ही निकाला जा सकता है। इतना ही नहीं इस उम्र के बाद भी आप सिर्फ 60 फीसद राशि की निकासी ही कर सकते हैं, बाकी की राशि आपको एन्युटी में देनी होती है। यहा राशि आपको पेंशन की तर्ज पर वापस होगी।


एनपीएस मैच्योरिटी पर लगता है टैक्स:


आपको जानकर हैरानी होगी कि एनपीएस में किए गए निवेश पर मैच्योरिटी पर टैक्स अदा करना होता है। जब आप 60 वर्ष की उम्र पार करने के बाद इसमें जमा 60 फीसद राशि की निकासी करेंगे तब आपको इसपर टैक्स अदा करना होगा। एनपीएस में निवेश का सुझाव देते हुए तमाम लोग इसके फायदे तो गिना देते हैं लेकिन कोई भी इस पर कर देयता के बारे में जानकारी नहीं देता है।


मैच्योरिटी पर एनपीएस में जमा राशि में से सिर्फ 40 फीसद ही टैक्स फ्री होती है।

राशि का अगला 40 फीसद हिस्सा एन्युटी में जाता है और इस पर आयकर कानून के तहत टैक्स देना होता है।

बाकी की 20 फीसद राशि पर या तो आप आयकर कानून के हिसाब से टैक्स अदा कर दें, इसकी तुरंत निकासी कर लें या फिर आप इसे भी एन्युटी में बदल दें।

एनपीएस जटिल कराधान से जुड़े इन्हीं पहलुओं के कारण अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में थोड़ा कमजोर नजर आता है।