Free uniform by NGO -   80 रुपये सिलाई व 220 रुपये का कपड़ा यही है सरकारी रेट, जबकि एनजीओ मांग रहे 140 सिलाई
परिषदीय विद्यालयों में ड्रेस वितरण में स्वयं सहायता समूह को विद्यालय नामित कर देने के बाद वितरण के नियम स्पष्ट न होने से शिक्षक और विभागीय अधिकारी असमंजस में हैं। वितरण का मानक प्रत्येक जिले में अलग-अलग है। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं विद्यालय के अध्यापकों से सिलाई की रकम को लेकर पूछताछ कर वापस लौट रही हैं। ड्रेस के एक सेट की कीमत 300 रुपये तय की गई है।

समूह की महिलाएं तय कीमत में 140 रुपये सिलाई बताती हैं। जबकि हाथरस के बीएसए ने अपने जनपद में जारी एक आदेश में स्पष्ट किया है कि 80 रूपये प्रति सेट सिलाई का निकालने के बाद 220 रुपये का कपड़ा खरीदा जाएगा। बताते चलें कि इससे पहले शिक्षकों द्वारा ड्रेस का वितरण किया जाता था। इसमे प्रबंध समिति की बैठक बुलाकर तीन दुकानों से कपड़े का कोटेशन लिया जाता था। उचित मूल्य व उचित गुणवत्ता के कपड़े को स्थानीय टेलर से सिलाई करा कर ड्रेस का वितरण होता था। इस वर्ष ब्लाक क्षेत्र के 110 परिषदीय विद्यालयों में महिला समूह द्वारा अनिवार्य रूप से ड्रेस वितरण का आदेश दिया गया है। समूह से जुड़ी महिलाएं स्कूल पहुंचकर बच्चों की संख्या का एक प्रपत्र भरवाती हैं। जिसमें लिखा हुआ है कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सिर्फ कपड़े सिलने का कार्य दिया गया है। जबकि महिलाएं साथ में एक कपड़ा लगा हुआ ऐरायां ब्लॉक के नाम की रसीद प्रस्तुत करती हैं। उक्त रसीद में 160 रुपये कपड़े की कीमत दी गई है, 140 रुपये एक सेट की सिलाई निकाली गई है। 22 जून से पहले महिला समूहों को ड्रेस सिलाई आर्डर की रकम को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी है। अध्यापकों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इस संबंध में बीईओ, धाता सुनील कुमार सिंह का कहना था सभी विद्यालयों में महिला समूह द्वारा ही ड्रेस का वितरण किया जाएगा। एक सेट ड्रेस की सिलाई कितनी निर्धारित की गई है, इसके बारे में जानकारी नहीं है।