भोजनमाता सरकारी स्कूलों में खाना बनाने के साथ करती हैँ स्कूलों की साफ सफाई, 1500 रुपये में दिन भर करती हैँ काम | UP MDM Cook Latest News 2022
परिषदीय विद्यालयों में मध्याहन भोजन बनाने वाली रसोइयों को भोजन बनाने के साथ ही विद्यालयों में सफाई भी करनी पड़ती है।
विद्यालयों में झाडू लगाने के दौरान रसोइयों के कपड़े भी गंदे हो जाते हैं। अब ऐसे में किस तरह भोजन में सफाई की उम्मीद की जा सकती है। विद्यालयों पर सफाईकमी नियमित दिखते नहीं हैं तो उनसे विद्यालय में सफाई से कोई मतलब ही नहीं।
रसोइयों में झाडू आदि लगवाए जाने के बाबत पूछे जाने पर अध्यापक और अध्यापिकाओं ने पल्ला झाड़ लिया। अधिकारी भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। रसाइयों को मानदेय के नाम पर मनरेगा श्रमिकों से भी कम मजदूरी दी जाती है। मनरेगा अमिको को जहां 204 रुपया मजदूरी दी जाती है वहीं रसोइयों को महज 50 रुपया प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय दिया जाता है।
विद्यालय में जिम्मेदारी के हिसाब से मानदेय नहीं दिया जा रहा है। पहले मात्र एक हजार रुपये महिने दिए जाते थे। अब 1500 रुपये कर दिए गए है। इतने कम पैसे से परिवार का गुजर असर नहीं हो पा रहा है। - फुलमनी देवी
विद्यालय में सफाईकमी तैनात है लेकिन उनसे विद्यालय की साफ-सफाई नहीं कराई जाती है। न चाहते हुए भी यह जिम्मेदारी विद्यालय की ओर से न कराया जाता है - पनपत्ति देवी
मनरेगा की मजदूरी 204 है। जबकि हम सब को एक माह का मानदेय 1500 सौ रुपया मिलता है. यह भी मिलने में तीन से चार का समय लग जाता है।- शैला देवी
एक वर्ष में 10 माह ही काम मिलता है। जब कि सुबह से विद्यालय में पांच घंटे से भी अधिक कार्य करना पड़ता है। उसके हिसाब से ऐसा नहीं मिलता है ऊपर से काम के लिए जी हजूरी करनी पड़ती है। - अनिता देवी
सुबह विद्यालय पहुंचकर लगाने और भोजन बनाने व बर्तन साफ करने में 3 बज जाता है। जिससे अन्य कोई दूसरा कार्य नही कर पाती ऐसे में 50 रुपया प्रतिदिन मिलने वाले मानदेय से परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो गया है। - अमरावती देवी
बच्चों के लिए भोजन बनाना जिम्मेदारी वाला कार्य है। भोजन बनाने और साफ सफाई के हिसाब से काफी कम मजदूरी मिल रही है। सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।