याचिका हाईकोर्ट की एक अधिवक्ता व सामाजिक कार्यकर्ता सहर नकवी ने दाखिल की थी। याचिका खारिज करते हुए चीफ जस्टिस राजेश बिंदल व जस्टिस जेजे मुनीर की खंडपीठ ने कहा कि याचिका में मांगी गई अनुतोष स्पष्ट नहीं है और कोर्ट इस प्रकार का अनुतोष नहीं दे सकती। कोर्ट ने याची से कहा कि वह स्पष्टता के साथ अपनी मांग को लेकर याचिका दाखिल कर सकती हैं। परंतु कोर्ट ने इसी याचिका में संशोधन कर पूरक शपथ पत्र दाखिल करने की याची की मांग को अस्वीकार कर दिया।
पेशे से अधिवक्ता व याचिकाकर्ता सहर नकवी ने कोर्ट में बहस करते हुए कहा कि कई प्रकार के मदरसे उत्तर प्रदेश में संचालित हैं। कहा गया कि कुछ मदरसे बरेलवी तो कुछ देवबंदी व अन्य सेक्टर की तरफ से संचालित हो रहे हैं। कहा गया कि इस प्रकार के मदरसे बंद कर इनको यूपी बोर्ड में शामिल किया जाए, ताकि शिक्षा में एकरूपता व समानता बनी रहे। हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याची द्वारा याचिका के मार्फत मांगी गई अनुतोष में स्पष्टता नहीं है और कोर्ट इस कारण याची को इस प्रकार की राहत मंजूर नहीं कर सकती।
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