बड़े सवाल पर जिम्मेदार चुप : तो क्या शिक्षक करें स्कूल कैम्पस की सफाई | Big Question Raised But Officer Silent

बड़े सवाल पर जिम्मेदार चुप : तो क्या शिक्षक करें स्कूल कैम्पस की सफाई | Big Question Raised But Officer Silent 

चाहे शासन हो या विभाग, स्कूल से सम्बन्धित अनेक आदेशों में सफाई व्यवस्था पर खासा जोर दिया जाता है लेकिन यह धरातल पर क्या हो रहा है, इसकी सुध नहीं ली जाती है। शौचालयों, परिसर व कक्षा कक्षों की सफाई कौन और किस तरह कर रहा है, कभी इसकी जांच नहीं कराई गई। शिक्षकों का यह दर्द रह रहकर उभरता है लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है।

नाम न छापने की शर्त पर तमाम शिक्षक बताते हैं कि परिषदीय स्कूलों की सफाई व्यवस्था रामभरोसे है। अनेक स्कूलों में सफाईकर्मी स्कूल ही नहीं जाते हैं। ग्राम प्रधानों से संपर्क पर बताया कि जाता है कि तैनाती ही नहीं है। जहां तैनाती है, वहां सफाईकर्मी नियमित रूप से स्कूल नहीं जाते हैं।

छोटे परिसर व कक्षा कक्षों की सफाई किसी तरह रसोईयों से करा ली जाती है लेकिन बड़े परिसर व अधिक कक्षा कक्षों की सफाई से रसोईयां भी तौबा कर लेती हैं। इन हालातों में आखिर स्कूलों की सफाई कौन करेगा, इसका जवाब अब तक जिम्मेदारों ने नहीं दिया है। इन दिनों बारिश के मौसम में घासफूस तेजी से बढ़ी है लेकिन नियमित सफाई नहीं की जा रही है।

शौचालयों की सफाई सबसे बड़ी परेशानी

सबसे बड़ी परेशानी शौचालयों की सफाई को लेकर है। यह ऐसी जगह है जहां नियमित सफाई की आवश्यकता है। छोटे बच्चे इसे एक दिन में ही गंदा कर देते हैं। सफाईकर्मी विहीन स्कूलों में इनकी सफाई हमेशा बड़ा मुद्दा रहती है। शिक्षक इसे लेकर आवाज उठाते हैं लेकिन सुनता कोई नहीं है। प्राइवेट कर्मी शौचालय सफाई के लिए अक्सर तैयार नहीं होते हैं।

प्राक्सी सफाईकर्मियों की करते हैं तैनाती!

सूत्र बताते हैं कि ऐसे कई सफाईकर्मी हैं जो अपने तैनाती स्थल पर जाने की बजाए अपनी जगह गांव के ही किसी गरीब को कुछ पैसों पर रख देते हैं। प्रॉक्सी सफाईकर्मी न तो स्कूल जाता है और न ही गांव की गलियों की सफाई करता है।
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