लंबे समय से संघर्ष कर रहे यूपी के कर्मियों में जगी आस, 1 अप्रैल 2005 से सूबे में लागू है एनपीएस | OPS News, NPS Bareaking news 
लखनऊ। नई पेंशन योजना पर केंद्रीय वित्त सचिव की अध्यक्षता में समीक्षा समिति गठित करने के फैसले से यूपी के 4 लाख सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों में भी आस जगी है। वे लंबे समय से पुरानी पेंशन स्कीम या एनपीएस में फिक्स रिटर्न की गारंटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस मुद्दे पर वर्ष 2013 और 2018 में हड़ताल भी कर चुके हैं।



उत्तर प्रदेश में एक अप्रैल 2005 से न्यू पेंशन स्कीम लागू है। यहां के कर्मचारी संगठन अपने लिए पुरानी पेंशन स्कीम को ही ज्यादा मुफीद मानते हैं। पहले न्यू पेंशन स्कीम में सरकार और कार्मिकों का शेयर 10-10 फीसदी था। बाद केंद्र ने अपना शेयर बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया। 


2018 में पुरानी पेंशन बहाली सहित कई मुद्दों को लेकर दो दिन की हड़ताल हुई तो शासन ने एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई। इस कमेटी की संस्तुति पर यूपी सरकार ने भी एनपीएस में अपना शेयर बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया। साथ ही सरकार ने अपने हिस्से का समस्त पुराना बकाया अदा करने का निर्णय भी लिया। केंद्र सरकार के अलावा देश में सिर्फ यूपी ही ऐसा राज्य है, जहां सरकार का शेयर बढ़ाया गया है।


लेकिन, यूपी में पुरानी पेंशन का मुद्दा ठंडा नहीं पड़ा है। तमाम कर्मचारी संगठन इस को लेकर आंदोलन करते रहे हैं। पेंशन का मुद्दा लगातार विधानमंडल के दोनों सदनों में भी उठता रहा है। केंद्र के निर्णय से इस ओर उम्मीद बढ़ गई है। हालांकि, कर्मचारियों का कहना है कि समीक्षा समिति के लिए टाइमलाइन तय की जानी चाहिए और जल्द से जल्द पुरानी पेंशन बहाल करने का निर्णय होना चाहिए।


कुछ दिन पहले केंद्र ने की थी एक और सकारात्मक पहल 
हाल ही में केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी की कि 22 दिसंबर 2003 या उससे पहले विज्ञापित या अधिसूचित पदों के जरिये नियुक्ति पाने वाले केंद्रीय कर्मचारी 31 अगस्त 2023 तक पुरानी पेंशन का विकल्प चुन सकते हैं। यूपी में भी 1 अप्रैल 2005 से पहले अधिसूचित या विज्ञापित पदों के लिए भी ऐसी ही मांग की जा रही है। इस दायरे में करीब एक लाख सरकारी कर्मचारी और शिक्षक आ रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि राज्य सरकार को केंद्र की तर्ज पर इस पर जल्द फैसला करना चाहिए।

केंद्र सरकार एनपीएस की समीक्षा के लिए बनाई कमेटी की रिपोर्ट के लिए समयसीमा तय करें, तभी कर्मचारियों को इसका वास्तविक लाभ मिल सकता है। -अतुल मिश्रा, महासचिव, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, उत्तर प्रदेश

17 साल बाद एनपीएस की समीक्षा का कोई मतलब नहीं है। यह सरकारी कर्मचारियों को उलझाने जैसा है। हमारा स्पष्ट मत है कि केंद्र सरकार पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की घोषणा करे। -हरिकिशोर तिवारी, अध्यक्ष, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद