Income Tax Rebate New Guidelines | छूट के लिए खत्म हो गई है 80C की लिमिट? इन तरीकों से बचा सकते हैं अपनी मेहनत के पैसे
TAX DEDUCTION WITH 80 C
80C की सीमा

विकल्पों को जानने से पहले ये जानना जरूरी है कि आयकरg अधिनियम के तहत 80C में कोई टैक्स पेयर कितने छूट के लिए आवेदन कर सकता है। आपको बता दें कि टैक्स पेयर इस धारा के तहत अधिकतम 1.50 लाख रुपये तक की छूट की मांग कर सकता है। बाकी छूट के लिए विकल्प कुछ इस तरह हैं।

स्वास्थ्य बीमा

निवेश के अलावा व्यक्ति स्वास्थ्य बीमा के लिए भी क्लेम कर सकता है। बच्चों, माता-पिता या जीवनसाथी का स्वास्थ्य बीमा कराने पर धारा 80D के तहत 25,000 रुपये तक की छूट मिलती है। साथ ही, अगर माता-पिता वरिष्ठ नागरिक की श्रेणी में आते हैं तो यह सीमा 50,000 रुपये है।

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS)

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत टैक्स पेयर 50,000 रुपये तक का छूट ले सकता है। यह धारा 80C के तहत मिलने वाले 1.50 लाख छूट के अतिरिक्त है। इस तरह कुल दो लाख की टैक्स छूट मिलती है।

शिक्षा ऋण
विदेश में पढ़ाई करने के लिए आपने किसी भी तरह का शिक्षा लोन लिया है तो यह टैक्स बचत में भी मदद करता है। धारा 80E के तहत लिए गए लोन की EMI पर लगने वाले ब्याज के लिए छूट मिलती है।

किराए की रकम

अगर आप किराये के घर पर रहते हैं तो इसके जरिए भी आपको टैक्स में छूट मिल सकती है। धारा 80GG के तहत आप 60,000 रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं। इस कटौती का लाभ उठाने के लिए आपको फॉर्म 10बीए जमा करना होगा।

राजनीतिक दलों/धर्मार्थ संगठनों को योगदान

आयकर अधिनियम की धारा 80GGC के अनुसार, अगर व्यक्ति राजनीतिक दलों या धर्मार्थ संगठनों को किसी तरह का योगदान (donation) देता है तो पूरी राशि ही टैक्स के योग्य नहीं होती है।

बचत खाता

बचत खाते के मिलने वाले ब्याज को आपकी आय में जोड़ा गया है तो इसमें 10,000 रुपये तक की छूट है। आयकर अधिनियम की धारा 80TTA के तहत अगर आपकी कुल ब्याज आय 10,000 रुपये से कम है तो आपको इस पर टैक्स नहीं देना होता है।
दिव्यांग व्यक्ति का उपचार

धारा 80 डीडी के तहत किसी दिव्यांग व्यक्ति के इलाज पर 75,000 रुपये तक की छूट का दावा किया जा सकता है। अगर व्यक्ति गंभीर दिव्यांग की श्रेणी में आता है तो 1,25,000 रुपये तक की टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है।

शैक्षिक छात्रवृत्ति

धारा 10(16) के तहत, शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति के रूप में मिलने वाली किसी भी राशि के लिए कोई टैक्स नहीं लिया जा सकता है।