Allahabad Highcourt News शिक्षक को केवल नैतिकता के आधार पर सेवा से बर्खास्त करना गलत, दंड पर हो पुनर्विचार –हाईकोर्ट

Allahabad Highcourt News शिक्षक को केवल नैतिकता के आधार पर सेवा से बर्खास्त करना गलत, दंड पर हो पुनर्विचार –हाईकोर्ट

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि किसी शिक्षक को केवल नैतिकता के उल्लंघन के आधार पर सेवा से बर्खास्त करना अत्यधिक कठोर कदम है। विशेषकर तब, जब शिक्षक और छात्रा के बीच आपसी सहमति से संबंध बना हो।

इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति सौरभश्याम शमशेरी की एकल पीठ ने एमएनएनआईटी प्रयागराज के शिक्षक की बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही दंड की मात्रा पर पुनर्विचार के लिए मामले को अनुशासनिक प्राधिकारी के पास वापस भेज दिया है। वर्ष 1999-2000 में एमएनएनआईटी के कंप्यूटर साइंस विभाग में लेक्चरर के पद पर याची की नियुक्ति की गई थी।



एक छात्रा ने संस्थान छोड़ने के करीब तीन साल बाद जनवरी 2003 में शिकायत दर्ज कराई कि शिक्षक ने उसके साथ संबंध बनाए थे। शिक्षक ने भी स्वीकार किया कि उनके बीच सहमति से संबंध थे और वे शादी करना चाहते थे पर कुछ कारणों से ऐसा नहीं हो सका। संस्थान ने मामले की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था, जिसकी रिपोर्ट में शिक्षक को अनैतिक आचरण का दोषी पाया। उसी आधार पर 28 फरवरी 2006 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया तो शिक्षक ने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि छात्रा संस्थान छोड़ने के तीन साल बाद तक शिक्षक के साथ रिश्ते में थी। शिकायत तब दर्ज कराई गई, जब शिक्षक की सगाई कहीं और हो गई। साथ ही मामले में कोई प्राथमिकी भी दर्ज नहीं कराई गई थी। 

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