Digital verification से खुलेगी भर्तियों में भ्रष्टाचार की पोल
1700 फर्जी शिक्षक बर्खास्त, एक अनामिका शुक्ला और 9 जगह नियुक्ति. अनामिका कांड का मास्टर माइंड पुष्पेन्द्र भी फर्जी प्रमाणपत्र पर शिक्षक बना था. ऐसे उदाहरण बहुत हैं। सभी भर्तियों की जांच गंभीरता से की जाए तो संख्या और ज्यादा निकलेगी। प्रमाणपत्रों के सत्यापन में होने वाले 'खेल' के कारण ये संभव होता है। यही कारण है कि अब सभी रिजल्ट को ऑनलाइन करने और डिजिटल तौर पर सत्यापित करने की मांग जोर पकड़ रही है।



सत्यापन में लगाते हैं काफी समय


सत्यापन के लिए संबंधित बोर्ड या विश्वविद्यालय को डाक से प्रमाणपत्रों को भेज कर सत्यापन मांगा जाता है। इसमें कई विवि सत्यापन में देरी करने के लिए चर्चित हैं। ये सत्यापन की फाइलें दबाएं रहते हैं। कई मामलों में तो डाक ही गायब कर दी जाती है। अभ्यर्थी डाक की जगह अपने हाथ से ही सत्यापित प्रति लेकर पहुंच जाते हैं। लिहाजा फर्जीवाड़े की काफी गुंजाइश रहती है। कभी कभी तक डाक वापस आती नहीं, बाबू का पटल या बीएसए का जिला बदल जाता है और सत्यापन पूरा होता ही नहीं।


पब्लिक डोमेन में करने की मांग

 अभ्यर्थियों की मांग है कि शिक्षक भर्ती हो या अन्य भर्तियां, सभी के शैक्षिक गुणांक एक पोर्टल पर चयन सूची में नाम के आगे लिखे जाएं। पारदर्शिता के चलते इसे पब्लिक डोमन में किया जाए ताकि चयनित अभ्यर्थी के आसपास के लोग इसे देख सकें। इससे अभ्यर्थी फर्जी प्रमाणपत्र लगाने में डरेंगे और फर्जीवाड़े पर लगाम लगेगी।


सत्यापन के नतीजे रहे हैं बेहतर


यूपी बोर्ड ने 2003 के बाद से रिजल्ट ऑनलाइन कर दिया है। बहुत कोशिशों के बाद अब जाकर बीएसए यूपी बोर्ड के हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के प्रमाणपत्रों का सत्यापन ऑनलाइन करवाने लगे हैं। यही हाल आईसीएसई व सीबीएसई का है। यही कारण है कि हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के फर्जी प्रमाणपत्र अमूमन सामने नहीं आते।