सरकारी कर्मचारी के भत्तों की कटौती का मामला कोर्ट में, योगी सरकार से जवाब तलब- primary ka master da cutting 
राज्य सरकार के कर्मचारियों के महंगाई और राहत भत्ते में कटौती को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट ने इस मामले में प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई 16 जुलाई को होगी। अनिल कुमार और अन्य की याचिकाओं पर न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने सुनवाई की। याचिका में प्रदेश सरकार द्वारा 24 अप्रैल को जारी कटौती के आदेश को चुनौती दी गई है। 

याची के अधिवक्ता रमेश कुमार और केके रॉय का कहना था कि राज्य सरकार को महंगाई और महंगाई राहत भत्ते में कटौती करने का वैधानिक अधिकार नहीं है। यह अधिकार संविधान के अनुचछेद 360 के तहत सिर्फ भारत के राष्टपति के पास है। राष्टपति वित्तीय आपातकाल की स्थिति में ऐसा आदेश पारित कर सकते हैं।
कहा गया कि महंगाई भत्ता वेतन का अविभाज्य भाग है। इसे रोका नहीं जा सकता है। इसके अलावा केंद्र सरकार 11 मार्च को आपदा अधिसूचित कर चुकी है। इसके बाद किसी भी वित्तीय संकट का समाधान डिजास्टर एक्ट के प्रावधानों के तहत ही किया जा सकता है।
 याचिका में कहा गया कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न हालात के कारण राज्य सरकार ने सभी सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई और महंगाई राहत भत्ते पर जनवरी 2020 से जून 2021 तक रोक लगा दी है। जबकि, राज्य सरकार को ऐसा आदेश देने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने पक्ष रखा।