ऑनलाइन इलेक्शन की उठी मांग | जब पढ़ाई ऑनलाइन हो सकती है तो इलेक्शन क्यों नहीं? Online Election 2022 Latest news

स्कूल बंद हैं। कोचिंग सेंटर के भी दरवाजों पर ताले लटक गए हैं तो फिर से बेरोजगार हो गया है भविष्य निर्माता कहे जाने वाला शिक्षक वर्ग से जुड़ा एक बड़ा तबका। कोचिंग सेंटर संचालक एवं शिक्षक सरकार के आदेश को सही नहीं मानते। जब हर तरफ भीड़ जुटाई जा रही हो, उस वक्त स्कूल-कॉलेजों को बंद करने का फैसला ठीक नहीं।

 


इस संबंध में कोचिंग सेंटर संचालकों के साथ स्कूल तथा कॉलेज संचालक भी मंथन कर रहे हैं। इनका कहना है कि आखिर नियम-कानून बनाने वाले क्या चाहते हैं। इनका कहना है जब पढ़ाई ऑनलाइन हो सकती है तो इलेक्शन क्यों नहीं। इनका कहना है कि हर घर में एक बच्चा तो होता ही है, अगर ऑनलाइन शिक्षा से सभी बच्चों को जोड़ा जा सकता है। यह नीति बनाने वालों की सोच है तो फिर वोटिंग भी ऑनलाइन कराएं। संचालकों का कहना है कि आर्थिक एवं शैक्षिक दृष्टिकोण से स्कूल-कोचिंग को बंद करने का फैसला गलत है।

हजारों शिक्षक हुए हैं बेरोजगार

स्कूल, कॉलेज एवं कोचिंग सेंटर के बंद होने से हजारों की संख्या में शिक्षक बेरोजगारी के कगार पर पहुंचे हैं। दो वर्ष से लॉकडाउन झेल रहे स्कूल संचालक इस स्थिति में नहीं हैं कि पहले लॉकडाउन की तरह इन्हें कुछ माह पगार दे सकें। जब सरकार ने 16 जून तक की छुट्टी घोषित की थी, तभी कई स्कूल संचालकों ने शिक्षकों का हिसाब कर घर भेज दिया, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि हालात चाहे, जो हों पहली गाज स्कूलों पर ही गिरनी है।


कोरोना के खौफ से सिर्फ स्कूल एवं कोचिंग बंद है। इधर टीईटी की परीक्षाएं हो रही हैं। सरकार ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन करा रही है। अगर हर व्यक्ति के पास फोन है, ऑनलाइन सुविधा है तो ऑनलाइन वोटिंग भी कराएं। बाजारों में भीड़ हो रही है। आखिर सिर्फ कोचिंग सेंटर एवं स्कूलों से ही खतरा क्यों। सरकार अपने फैसले पर एक बार फिर से विचार करे।

- शिवशंकर झा, डायरेक्टर, झा क्लासेस

हम भी बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहते, लेकिन सरकार क्या चाहती है। बाजार खुले हैं तो वाहन ओवरलोडेड हैं, लेकिन शिक्षा ग्रहण करने के स्थान बंद। यह बच्चों को मानसिक अपंग बनाने के समान हैं। आखिर स्कूल एवं कोचिंग संचालक कैसे अपना खर्चे को निकालें। ऑनलाइन शिक्षा विकल्प नहीं है, क्योंकि इससे बच्चे पूरी तरह सीख नहीं पाते।