प्रदेश भर के डाकघरों में 2500 करोड़ डंप, इस धन का नामलेवा कोई नहीं, साइलेंट एकाउंट में जमा धनराशि सरकारी खजाने में होंगी जमा : Silence Account have Money 2022
गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के डाकघरों में तकरीबन ढाई हजार करोड़ रुपये डंप हैं। यह रकम ऐसे खातों में वर्षों से पड़ी है, जिनका कोई नामलेवा नहीं है। इन खातों को खुले तीन से लेकर 11 साल तक हो गए हैं। रकम भी जमा हुई मगर लेनदेन के लिए कोई आया ही नहीं। विभाग ऐसे 1.36 करोड़ खातों को साइलेंट एकाउंट घोषित कर चुका है। अफसरों का कहना है कि तय अवधि के बाद यह रकम जब्त कर सरकारी खजाने में जमा करा दी जाएगी।
यूपी में डाकघर के आठ परिक्षेत्र हैं। सबसे ज्यादा 40 लाख साइलेंट खाते लखनऊ परिक्षेत्र में हैं। इनमें तकरीबन 751 करोड़ रुपये डंप हैं। इसके बाद आगरा में करीब 23 लाख तो बरेली में 22 लाख खाते साइलेंट घोषित किए जा चुके हैं। इन खातों में पड़ी सात सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम का भी कोई पुरसाहाल नहीं है। इसी तरह गोरखपुर परिक्षेत्र के 19 लाख से ज्यादा साइलेंट खातों में तकरीबन तीन सौ करोड़ रुपये पड़े हैं। मुख्यालय सर्किल के बाद प्रयागराज और वाराणसी परिक्षेत्र में सबसे कम साइलेंट खाते हैं और इनमें रकम भी अन्य क्षेत्रों के मुकाबले कम है। ज्यादातर साइलेंट खाते बचत श्रेणी के हैं। इनमें कुछ खाते मासिक जमा योजना व एमआईएस श्रेणी के भी हैं।
जब्त रकम मिलेगी, सक्रिय कराएं साइलेंट खाता
प्रवर डाक अधीक्षक मनीष कुमार कहते हैं कि जब्त राशि सरकारी खाते में जमा होने के बाद भी यदि खाताधारक क्लेम करता है तो उसे उसकी रकम मिल सकती है। इसके लिए साइलेंट श्रेणी में डाले गए खाते को दोबारा शुरू कराना होगा। खाता दोबारा शुरू कराने के लिए खाताधारक अथवा नॉमिनी को केवाईसी भरना होता है। साथ ही जरूरी प्रमाणपत्रों के साथ प्रार्थना पत्र देना होता है। इसके बाद विभाग सभी औपचारिकता पूरी कर खाते को सक्रिय कर देता है। यदि खाते से रकम जब्त की गई है तो उसे वापस भी कर दिया जाता है।
परिक्षेत्रवार साइलेंट खाते और उनमें जमा रकम
परिक्षेत्र साइलेंट खाते राशि
गोरखपुर 19.17 293
आगरा 23.81 397
बरेली 21.99 319
मुख्यालय 01.60 043
कानपुर 10.95 204
लखनऊ 40.71 751
प्रयागराज 08.60 224
वाराणसी 09.83 221
(नोट : साइलेंट खातों की संख्या लाख में और राशि करोड़ में है। आंकड़े 31 मार्च, 2022 तक के हैं।)
12 साल तक इंतजार फिर रकम जब्त
गोरखपुर परिक्षेत्र के पीएमजी विनोद कुमार वर्मा का कहना है कि 12 साल तक खाताधारक का इंतजार किया जाता है। इसके बाद रिपोर्ट मंत्रालय को भेज दी जाती है। मंत्रालय की अनुमति के बाद साइलेंट खातों की रकम वेलफेयर स्कीम के तहत सरकारी खजाने में जमा करा दी जाती है।