MDM नही महंगाई का विकल्प है, मिड डे मील की परिवर्तन लागत पर भी ध्यान दें जिम्मेदार, सिर्फ टास्क फ़ोर्स गठन से नहीं बनेगा काम | Conversion Cost Latest News

MDM नही महंगाई का विकल्प है, मिड डे मील की परिवर्तन लागत पर भी ध्यान दें जिम्मेदार, सिर्फ टास्क फ़ोर्स गठन से नहीं बनेगा काम | Conversion Cost Latest News

देश मे आज हर कोई महंगाई से परेशान है जिसकी वजह से घर चलाने का खर्च लगभग दुगना हो गया है, पर MDM एक ऐसी व्यवस्था है जिस पर महंगाई का कोई फर्क नहीं पड़ता। नही विस्वास तो जरा सोच कर देखिये आज से 2 बर्ष पूर्व जितना खर्च आपके घर मे होता था क्या आज भी उतने में ही घर चल रहा है जवाब होगा नही खर्च तो दुगना हो गया है।
           
महोदय आइये आपको बताते है MDM के बारे में जिसे महंगाई छू भी नहीं पाती, आलू 5 रु किलो था तब भी MDM वैसा ही बनता था तेल 70 रु का था तब भी उतने में ही बनता था, गैस 600 में थी तब भी उतने में ही बनता था लगभग हर जीच के दाम वर्षो पहले जितना था उससे लगभग तीन गुना बढ़ गया है फिर भी mdm की लागत मूल्य में कोई बढ़त नहीं हुई।

 आज आलू 20 से 25 रु किलो है, तेल लगभग 200 हो गया गैस 1100 पार हो गयी है मशाले और अन्य सब्जी भी 2 गुने से ज्यादा हो गयी है 5 रु किलो वाला कद्दू भी 20 रु से ज्यादा में मिलने लगा पर मजाल है कि MDM का खर्च बढ़ा हो वर्षो पहले जो रेट था वही रेट आज भी है तो MDM हुआ न विकल्प।

वस्तुओं के दाम कितने भी बढ़ जाये पर MDM का खर्च नहीं बढ़ता। 5 रु से कम में गेंहू की पिसाई, सब्जी, तेल, मसाले वो भी ब्रांडेड के अलावा दूध भी मिल जाता है।

 इससे बड़ा कमाल सुनियो बच्चों के लिए फल की भी व्यवस्था है, अगर आपको कभी फल की जरूरत हो तो बाजार मत जाइयेगा बल्कि अपने बगल वाले विद्यालय के मास्टर साहब से संपर्क करिएगा, क्योकि बाजार जाएंगे तो कोई भी फल 4 रु में नही मिलेगा पर मास्टर साहब आपको 4 रु में फल उपलब्ध करा देंगे, आप आप सोच रहें होंगे कि जब बाजार में नहीं तो मास्टर साहब कंहा से देंगे, तो आपको बता दे मास्टर की सैलरी है न हर निरीक्षण कर्ता उसे समझा देता है इतना कमाते हो कुछ खर्च कर दोगे तो क्या होगा तो बस मास्टर साहब नौकरी बचाने के लिए अपनी सैलरी से पैसा लगा देंगे।*
वैसे आज बाजार में जा कर देखिये तो कौन सा फल मिलता है 4 रु में अगर न मिले तो गुरु जी के पास आइये और फल ले जाइए।

उम्मीद करता हूँ कि MDM से जुड़े लोग इस तरफ ध्यान देंगे कि जिस मूल्य पर आज एक अच्छी चाय भी नहीं मिलती उस मूल्य पर पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना कितना उचित है?

आपका अनुज
विवेकानंद
संस्थापक एवम अध्यक्ष
टीचर्स सेल्फ केयर टीम 
उत्तर प्रदेश

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