प्रकृति की सीख कक्षा 4 हिंदी कलरव Primary Ka Master Guide for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 5

प्रकृति की सीख कक्षा 4 हिंदी कलरव Primary Ka Master Guide for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 5

प्रकृति की सीख शब्दार्थ

तरल तरंग = चंचल लहर
मृदुल = कोमल
उमंग = उत्साह
धैर्य = धीरज।

पर्वत कहता …………………………………………….. लाओ।

संदर्भ – यह पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘कलरव’ के ‘प्रकृति की सीख’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता ‘सोहन लाल द्विवेदी’ हैं। कवि लिखता हैं कि प्रकृति अपने विभिन्न रूपों से हमें सीख देती है।

भावार्थ – पर्वत सिर उठाकर कहता है कि तुम सब मेरे समान ऊँचे बनो। समुद्र लहराकर कहता है, मन के अंदर गहराई लाओ। भाव यह है कि पर्वत और समुद्र मनुष्य को महान और गंभीर होने की प्रेरणा देता है।

समझ रहे ………………………………….…………… उमंग।

संदर्भ – क्या तम यह बात समझ पा रहे हो कि पानी की चपल या चंचल लहर. ऊपर उठ-उठकर; फिर नीचे गिर-गिरकर क्या संदेश दे रही है? यह कह रही है कि तुम अपने मन में मधुर उत्साह (जोश) भरो।

पृथ्वी कहती …………………………………….……….. सारा संसार।

भावार्थ – पृथ्वी के सिर पर बहुत अधिक भार है। यह इसे धैर्यपूर्वक सहती है और सबको धैर्यवान होने की प्रेरणा देती है। तथा आकाश भी सारे संसार को ढक लेने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। अर्थात् व्यक्तित्व को महान बनाने की प्रेरणा देता है।


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प्रकृति की सीख अभ्यास प्रश्न


भाव बोध

प्रश्न १.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दो
(क) पर्वत क्या संदेश दे रहा है?
उत्तर:
पर्वत ऊँचा (महान) होने का संदेश दे रहा है।

(ख) तरंग क्या कहती है?
उत्तर:
तरंग मधुर उत्साह (जोश) मन में भर लेने के लिए कहती है।

(ग) संसार को ढक लेने की सीख कौन दे रहा है?
उत्तर:
संसार को ढक लेने की सीख आसमान दे रहा है।

(घ) प्रकृति से हमें क्या-क्या सीख मिलती है?
उत्तर:
प्रकृति से हमें महान, गंभीर, उत्साही, धैर्यवान और परोपकारी बनने की सीख मिलती है।प्रकृति की सीख कक्षा 4 हिंदी 

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प्रश्न २.
नीचे स्तंभ ‘क’ में प्रकृति के कुछ अंगों के नाम लिखे गए हैं। स्तंभ ‘ख’ में उनसे मिलने वाली सीख बिना क्रम में लिखी गई है, उन्हें सही क्रम में लिखो (लिखकर)
उत्तर:
‘क’ → ‘ख’
पर्वत → ऊँचे बन जाओ
सागर → गहराई लाओ
तरंग → हृदय में उमंग भर लो
पृथ्वी → धैर्य न छोड़ो
नभ → ढक लो तुम सारा संसार

प्रश्न ३.
रिक्त स्थानों को भरकर कविता को पूरा करो (रिक्त स्थान भरकर)
पर्वत कहता शीश उठाकर, तुम भी ऊँचे बन जाओ।
सागर कहता है लहराकर, मन में गहराई लाओ।
समझ रहे हो क्या कहती है, उठ-उठ गिर-गिर तरल तरंग।
भर लो, भर लो अपने मन में, मीठी-मीठी मृदुल उमंग।

प्रश्न ४.
निम्नलिखित पंक्तियों के भाव स्पष्ट करो
(क) सागर कहता है लहराकर, मन में गहराई लाओ।
भाव:
सागर लहराकर मनुष्य को गंभीर होने का संदेश देता है।

(ख) पृथ्वी कहती धैर्य न छोड़ो, कितना ही हो सिर पर भार।
भाव:
पृथ्वी कहती है हमें बड़ी-से-बड़ी मुसीबत के समय भी धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए।

(ग) भर लो, भर लो अपने मन में, मीठी-मीठी मृदुल उमंग।
भाव:
पानी की लहर मन में मधुर उत्साह (जोश) भर लेने की बात कहती है।

(घ) नभ कहता है. फैलो इतना, ढक लो तुम सारा संसार।
भाव:
आकाश हमें अपने समान महान व्यक्तित्व बनने की प्रेरणा देता है।


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तुम्हारी कलम से


प्रश्न १.
क्या सीख मिलती है? (सीख लिखकर)

    वृक्षों से → परोपकार की
    फूलों से → सौंदर्यवृद्धि वृत्ति की,
    नदियों से → परोपकार की
    कोयल से → मधुरता की

अब करने की बारी


(क) पर्वत और लहराते हुए सागर का चित्र बनाओ।
(ख) प्रकृति वर्णन’ से संबंधित कविताओं का संकलन करो।
(ग) इस कविता को कंठस्थ कर कक्षा में सुनाओ।
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।


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कितना सीखा – १


प्रश्न १.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दो
(क) ‘पथ मेरा आलोकित कर दो’ शीर्षक कविता में कवि क्या वरदान माँग रहा है?
उत्तर:
इस कविता में कवि ईश्वर से ज्ञान रूपी प्रकाश का वरदान माँग रहा है।

(ख) निश्चित लक्ष्य तक पहुँचने के लिए कवि ने क्या माँगा और क्यों माँगा है?
उत्तर:
निश्चित लक्ष्य तक पहुँचने के लिए कवि ने पैर और पंख माँगे हैं; क्योंकि मनुष्य और पक्षी के लिए नियत स्थान (लक्ष्य की प्राप्ति) पर पहुँचने के लिए पैर और पंख जरूरी हैं।

(ग) गांधी जी किस भूल के लिए जीवन भर पछताते रहे और इसके लिए उन्होंने क्या सुझाव दिया है?
उत्तर:
पढ़ाई में अक्षर अच्छे होना जरूरी नहीं है अपनी इस भूल को लेकर गांधी जी जीवनभर पछताते रहे। इसके लिए उन्होंने सुझाव दिया कि मोती जैसे अक्षर लिखने के लिए बालक को चित्रकला सीखनी चाहिए।

(घ) बालक करन ‘किस्मत का खेल’ के प्रति कैसे आकर्षित हुआ?
उत्तर:
दुकानदार ने बूढ़े और एक लड़के को, अच्छा इनाम देकर करन को उकसाया, जिस कारण वह आकर्षित हुआ।

प्रश्न २.
इन पंक्तियों का भाव अपने शब्दों में लिखो
(क) पृथ्वी कहती …………………………………..……… सारा संसार ॥
(ख) पथ मेरा ………………………………………………… तम हर दो॥
उत्तर:
विद्यार्थी पंक्ति (क) के लिए पाठ ५ और (ख) के लिए पाठ १ का भावार्थ पढ़ें।

प्रश्न ३.
(क) नीचे दिए गए शब्दों में ‘सु’ तथा ‘कु’ उपसर्ग जोड़कर नए शब्द बनाओ और उनके अर्थ भी लिखो- पात्र, मार्ग, योग, मति, बुद्धि
उत्तर:
‘सु’ उपसर्ग
सुपात्र = अच्छा पात्र
सुमार्ग = अच्छा मार्ग
सुयोग = अच्छा अवसर
सुमति = अच्छी राय
सुबुद्धि = बुद्धिमान

 ‘कु’ उपसर्ग
कुपात्र = बुरा पात्र
कुमार्ग = बुरा मार्ग
कुयोग = बुरा अवसर
कुमति = बुरी राय
कुबुद्धि = मूर्ख

(ख) वर्तनी शुद्ध करो
मित
असिश्ट
निदिष्ट
कृतग्य
पित्रभक्त
रंगना
हंसना
उत्तर:
मित – मृत
असिश्ट – अशिष्ट
निदिष्ट – निर्दिष्ट
कृतग्य – कृतज्ञ
पित्रभक्त – पितृभक्त
रंगना – रँगना
हंसना – हँसना

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(ग) नीचे दिए गए शब्दों में से संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया शब्दों को अलग-अलग छाँटकर लिखो- सुनाया, युवक, मीठा, जुम्मन, धार्मिक, देखा, वह , भलाई, उसने, भला।
उत्तर:
संज्ञा – जुम्मन, युवक, भलाई।
सर्वनाम – वह, उसने।
विशेषण – मीठा, धार्मिक, भला।
क्रिया – सुनाया, देखा।

प्रश्न ४.
विष्णु शर्मा द्वारा सुनाई गई चार मित्रों की कहानी संक्षेप में सुनाओ।
नोट – विद्यार्थी स्वयं सुनाएँ।

अपने आप – १

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श्रवण कुमार -

पाठ का सारांश



अंधे माता-पिता का इकलौता पुत्र श्रवण कुमार, एक दिन उन्हें तीर्थ-यात्रा पर लेकर चल पड़ा। एक जंगल से गुजरते समय रास्ते में माता-पिता को प्यास लगी। श्रवण नदी से पानी लाने गया।

23 नदी से पानी भरने की आवाज़ को सुनकर शिकार करने आए राजा दशरथ को लगा कि कोई जंगली जानवर पानी पी रहा है और उन्होंने शब्द-बेधी बाण चला दिया। राजा दशरथ के शब्द-बेधी बाण से श्रवण धराशायी हो गया। दशरथ को अपनी भूल पर बहुत पश्चाताप हुआ। लेकिन श्रवण के वृद्ध पिता ने राजा दशरथ को पुत्र वियोग से मृत्यु का शाप दे दिया। मातृ-पितृ भक्त होने की खातिर श्रवण कुमार का नाम हमेशा के लिए अमर हो गया।